
गत एक सप्ताह से मुक्तसर के साथ लगते गांव उदेकरन में पहली बारिश का पानी खेतों व गांवों में भरा हुआ है और यह पानी गांव के श्मशान घाट में भी भर चुका है। जिस कारण आज गांव में हुई एक व्यक्ति की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार गांव के श्मशानघाट में नहीं किया जा सका और परिवार वालों को उसका शव गांव से करीब आठ किलोमीटर दूर मुक्तसर के बठिंडा रोड स्थित श्मशानघाट में लाकर अंतिम संस्कार करना पड़ा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार गांव के एक नौजवान लाला बराड़ की रविवार की रात को हार्ट अटैक से मौत हो गई। सोमवार को जब परिवार वालों ने उसके अंतिम संस्कार की तैयारी करते हुए गांव के श्मशानघाट में जाकर देखा तो श्मशानघाट में करीब 2-2 फुट पानी भरा हुआ था। जिसके चलते परिवार वालों को शव का संस्कार करने के लिए मुक्तसर के श्मशानघाट में जाना पड़ा।
21-22 जुलाई को हुई बारिश का पानी अभी भी गांव उदेकरन के खेतों व गलियों में भरा हुआ है परंतु प्रशासन ने अभी तक इस पानी की निकासी के लिए कोई पुख्ता प्रबंध नहीं किए। गांव वासी सुखचैन सिंह निक्का, अमर सिंह, सरपंच मंगल सिंह, पंच हरजिंदर सिंह ने बताया कि दूसरे गांव की बारिशों का पानी भी उनके गांव में आ रहा है जिसके चलते सैंकड़ाें एकड़ खेत व बहुत से घर पानी की मार नीचे आ गए हैं।
श्मशानघाट में भी पानी भर गया। गत वर्ष भी यही हाल था परंतु प्रशासन उनकी इस समस्या की कोई सुनवाई नहीं कर रहा। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि पानी की तुरंत निकासी का प्रबंध किया जाए और उनके गांव को आगे होने वाली बारिशों के पानी से डूबने से बचाया जाए।
गत वर्ष भी 3 संस्कार मुक्तसर में करने पड़े
यह उदेकरन में पहली बार नहीं हुआ कि बारिशों का पानी गांव में घरों के साथ-साथ शमशान घाट में भी भर गया। गत वर्ष भी बारिश के मौसम में गांव उदेकरन के खेतों व घरों में करीब तीन-तीन फुट पानी भर गया था। यह पानी इतना ज्यादा था कि जुलाई अगस्त की बारिशों का पानी नवंबर माह तक घरों व खेतों में भरा रहा।
गत वर्ष भी बारिशों के मौसम में तीन मौते हुई थी जिसके चलते शवाें का संस्कार मुक्तसर में किया गया था। करीब 6 हजार आबादी वाले गांव में दो श्मशानघाट हैं और दोनों ही पानी में डूबे हुए हैं। प्रत्येक वर्ष अफसर, मंत्री व लीडर भी पानी की निकासी के पूरे प्रबंध का विश्वास तो दिलाते हैं लेकिन आज तक हुआ कुछ भी नहीं।
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