
जिले में अब तक औसत के मुकाबले मात्र 70% ही बारिश हुई है जो किसानों के लिए चिंता का विषय है। इससे भी बड़ी चिंता का विषय है जिले में औसत से 70% बारिश होने के बावजूद जिले के सिंचाई बांध और तालाबों में मात्र 43% ही जलभराव। कमजोर जलभराव का सीधा मतलब है सितंबर-अक्टूबर महीने में जब फसलें पकने की स्थिति में होंगी और पानी की सबसे अधिक जरूरत होगी तो सिंचाई के लिए किसानों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाएगा। जिले का सबसे बड़ा बांध परलकोट पखांजूर में है जहां 83% बारिश के बावजूद जलभराव 34 प्रतिशत ही हो पाया है।
पिछले साल के मुकाबले इस बार भराव कम
बारिश के चलते जिले के बांधों तथा सिंचाई तालाबों में जलभराव 17 अगस्त को 25 प्रतिशत से बढ़कर 25 अगस्त को 43 प्रतिशत हो गया। लेकिन इसके बावजूद यह बेहद कमजोर है क्योंकि गत वर्ष 25 अगस्त तक 79 प्रतिशत जलभराव हो चुका था।
बांध के कैचमेंट एरिया में बारिश कमजोर
जिले में दो मध्यम सिंचाई बांध मयाना व परलकोट जलाशय हैं। मयाना में तो जलभराव बेहद कमजोर है। अभी तक यहां मात्र 27% जलभराव हुआ है। पिछले साल अब तक यहां मात्र 20% ही जलभराव हुआ था। परलकोट बांध की स्थिति इस बार बेहद चिंताजनक है। यहां अभी तक की स्थिति में मात्र 34% ही जलभराव हुआ है जबकि गत वर्ष अभी तक 95% जलभराव हो चुका था। पखांजूर तहसील में अब तक औसत के मुकाबले 83% बारिश हो चुकी है लेकिन सिंचाई विभाग के अफसरों का कहना है परलकोट में पानी पड़ोसी जिला राजनांदगांव के मोहला मानपुर क्षेत्र से आता है जहां बांध के कैचमेंट एरिया में बारिश इस बार कमजोर है।
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