नगर निगम चुनाव से पहले शहर में कांग्रेस की तरफ से की जा रही नई वार्डबंदी पर सोमवार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है, इसे कांग्रेस के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। इससे पहले निगम के वार्डों संबंधी की जा रही छेड़छाड़ को लेकर भाजपा के जिला अध्यक्ष निपुण शर्मा, पूर्व मेयर शिव सूद, भाजपा नेता विनोद परमार और पूर्व कैबिनेट मंत्री तीक्षण सूद की पत्नी राकेश सूद ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक रिट पिटीशन डाली थी, जिसकी सुनवाई आज माननीय जस्टिस अजय तिवाड़ी और जस्टिस अर्चना पुरी की डिवीजनल बेंच की कोर्ट में हुई।
भाजपा नेताओं की और से कोर्ट में पेश हुए एडवोकेट क्रिशन सिंह डढवाल ने बताया कि अदालत ने नई वार्डबंदी पर रोक लगा दी है। इस मामले में अगली सुनवाई 3 सितंबर को होगी। इस मामले में हाईकोर्ट ने 11 अगस्त को हाईकोर्ट के जीरकपुर नगर कौंसिल की हो रही वार्डबंदी पर रोक लगाने के फैसले का हवाला देते हुए रोक लगाई। इससे पहले नवांशहर की वार्डबंदी पर भी हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी।
नियमों को दरकिनार कर वार्ड के नंबर बदलने का आरोप
जब 2015 में नगर निगम होशियारपुर के चुनाव हुए थे तब 50 वार्ड वाले इस निगम पर अकाली-भाजपा ने जीत दर्ज की थी और इस साल मार्च में हाउस का 5 साल का कार्यकाल पूरा होने पर सरकार ने संकेत दिए थे कि अक्टूबर में चुनाव करवाए जा सकते हैं। इसके चलते कांग्रेस ने चुनाव में अपनी जीत पक्की करने के लिए कई वार्डों के नंबर तबदील कर दिए। इस बार सरकार ने निगम चुनाव में 50 फीसदी महिलाओं और 50 फीसदी पुरुषों का कोटा तय करते हुए ऑड-ईवन फार्मुला लगाया गया।
निगम से ली आरटीआई के आधार पर दर्ज की याचिका
असल में याचिका की बुनियाद निगम की और से आरटीआई के तहत दी गई जानकारी पर ही खड़ी हुई। आरटीआई में निगम ने यह बात मानी थी कि शहर की आबादी नहीं बढ़ी और न ही वार्डबंदी की जा रही है। वहीं, भाजपा नेताओं के पास ऐसे दस्तावेज थे, जिससे यह साबित हो रहा है कि वार्डबंदी करवाई जा रही है।
निगम चुनाव में हार के डर से कांग्रेस ने वार्ड तोड़े : निपुण शर्मा
भाजपा के जिला प्रधान निपुण शर्मा और विनोद परमार ने बताया कि कांग्रेस ने निगम चुनावों में अपनी हार के डर से नियमों को दरकिनाकर कर कई वार्डों को वार्डबंदी के नाम पर तोड़ दिया और कई का एरिया दूसरे वार्डों में तबदील कर दिया। कई वार्डों के नंबर चेंज कर दिए क्योंकि ऑड-ईवन में आने की वजह से कांग्रेस उन वार्डों में अपने आप को कमजोर समझ रही थी।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस दावा कर रही थी कि शहर में 10 हजार वोट बढ़ गए हैं, लेकिन जब इस संबंधी आरटीआई से जानकारी ली तो पता चला कि शहर की आबादी पहले से कम हो चुकी है। 2014 में जब नगर निगम बना था तो उस समय 2011 की जनगणना को आधार बनाया गया था और कुछ समय पहले डायरेक्टर जनगणना केंद्र सरकार ने एक चिट्ठी जारी की थी कि 2021 की जनगणना का काम शुरू हो चुका है, तो निगम, पंचायत के वार्डों में कोई तबदीली न की जाए।लेकिन हैरानी की बात है कि कांग्रेस ने यह सारी छेड़छाड़ करने के लिए शहर में लगे टयूबवेल आपरेटरों से ही जनगणना करवा दी और दावा किया गया था कि शहर में 10 हजार वोट बढ़ चुके हैं।
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