
सरकार कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए आए दिन नई-नई हिदायतें जारी कर रही हैं, लेकिन 50% कर्मचारियों के आने का सिस्टम लोगों पर ही भारी पड़ रहा। सरकारी और प्राइवेट दफ्तरों में कर्मचारियों की संख्या तो कम कर दी गई है, लेकिन लोगों की संख्या बढ़ने से मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। तहसील कॉम्पलेक्स स्थित सेवा केंद्र में 16 ऑपरेटरों का स्टॉफ है, लेकिन अभी 8 कर्मचारी ड्यूटी पर बुलाए जा रहे। वहीं, स्लो सर्वर की समस्या भी आए दिन बनी रहती है, जिससे मुलाजिमों और लोगों दोनों को परेशानी आ रही है।
रोज काम कराने के लिए पहुंचने वाले लोगों की संख्या अब 300 तक पहुंच जा रही है। ऑपरेटरों पर काम का बोझ अधिक होता देखकर टोकन की संख्या अब 80 से 120 कर दी गई है, जबकि पहले 200 से 250 थी। टोकन न मिल पाने से लोग बैरंग वापस लौट रहे, जबकि उनके लिए कोई प्लान नहीं तैयार किया गया है। भीड़ देरशाम तक जुटी रहती है और संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। वहीं, कर्मचारियों का कहना है कि लोगों को समझाया जाता है कि अभी जितने टोकन बांटे जा चुके हैं उन्हीं के काम हो पाएंगे। इसके बाद भी लोग नहीं मानते, इसलिए भीड़ की संख्या रोज बनी रहती है। डीसी दफ्तर और तहसील कॉम्पलेक्स में पहले भी मुलाजिम कोरोना पॉजीटिव आ चुके हैं। इसके बावजूद भीड़ को कंट्रोल करने की जरूरत नहीं समझी जा रही है और न ही कोई सिस्टम बनाया जा रहा है। तहसीलों में सेवा केंद्रों एसडीएम दफ्तर और रजिस्ट्री दफ्तर में जुटने वाली भीड़ की संख्या रोजाना 1000 से 1500 के करीब होती है और यहां पर सोशल डिस्टेंसिंग बना पाना तो बहुत मुश्किल हो गया है।
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