
कोरोना संकटकाल में सवारियों की कमी की मार पंजाब रोडवेज पर भारी पड़ रही है। बेशक, अनलॉक-4 में पंजाब सरकार ने सूबे के कई लंबे रूट पर बस सेवा शुरू की है, लेकिन इन रूट पर कमाई तो दूर, डीजल और ड्राइवर-कंडक्टर व मेंटेनेंस का खर्च निकाल पाना भी मुश्किल हो रहा है। पहले होशियारपुर से करीब 80 बसें चंडीगढ़ के लिए रोजाना चलती थीं।
लेकिन, 16 सितंबर से सिर्फ 17 सरकारी और 5 निजी कंपनी की बसें ही भेजी जा रही हैं, लेकिन उनमें भी नाममात्र सवारियां मिल रही हैं। 16 सितंबर को बस नंबर सीएच 01-ए-9963 में होशियारपुर से सिर्फ 2 सवारियां चंडीगढ़ के लिए बैठीं। रास्ते में 16 सवारियां और मिलीं। अप-डाउन में करीब 6400 रुपए कैश आया।
चंडीगढ़ आने-जाने में 5 हजार डीजल खर्च
होशियारपुर बस अड्डे के स्टेशन सुपरवाइजर मोहिंदर सिंह ने बताया कि एक बस का चंडीगढ़ आने-जाने में लगभग 5 हजार डीजल खर्च बैठ जाता है। उन्होंने बताया कि बस अड्डे से चंडीगढ़ के लिए बुधवार को गई बस नंबर पीबी 07 बीक्यु 213 को एक तरफ में 19 सवारियां, बस नंबर पीबी 3823 को 19, पीबी 3825 को 3, पीबी 3822 को 6, पीबी 4067 को 4 और पीबी 4067 को 4 सवारियां ही होशियारपुर से मिलीं।
उन्होंने बताया कि होशियारपुर डिपो को वीरवार को 2 लाख 41 हजार रुपए के करीब किराया हासिल हुआ। पंजाब रोडवेज के होशियारपुर डिपो की बात करें, तो पहले एक दिन में 9 लाख रुपए आय थी, जो अब डेढ़ से 2 लाख रह गई है। कोरोना के चलते लोग बसों में सफर करने से डर रहे हैं।
लोकल में चलती हैं 40 मिनी बसें, अभी सिर्फ 10 ही चल रहीं
होशियारपुर से करीब 40 मिनी बसें लोकल चलती हैं, जिनमें से अब सिर्फ 10 ही चल रही हैं। चालक मलकीत सिंह, जिंदर, लवप्रीत, सोना बिछोही व अन्य ड्राइवरों ने बताया कि सवारियां ही नहीं मिल रहीं, जिसके चलते अधिकतर बस मालिकों ने बसें खड़ी कर रखी हैं।
उन्होंने बताया कि अभी लोकल में सिर्फ शाम चौरसी, चब्बेवाल, डाडा, भूंगरनी, हरियाना, जनोड़ी, सारंगोवाल, भाम, काहरी साहरी गांवो की तरफ बसें चल रही हैं, जबकि गों डाडा तो सिर्फ एक दिन बस गई थी लेकिन सवारी न मिलने की वजह से अब वह रूट बंद पड़ा है।
बस चले न चले पर टैक्स देना ही पड़ेगा, राहत दे सरकार
होशियारपुर डिपो के साथ निजी कंपनी की करीब 300 बड़ी बसें जुड़ी हुई हैं, जिनमें से सिर्फ 10 से 15 प्रतिशत ही अभी चलाई जा रही हैं। उधर, एक्सप्रेस बस सर्विस के मालिक जसबीर सिंह राजा ने बताया कि उनकी कंपनी में 40 के करीब बसें हैं, जिनका हर महीने साढ़े आठ लाख रुपए का टैक्स खर्च बनता है और 3 लाख रुपए के करीब इंश्योरेंस का खर्च बन जाता है।
चाहे बस चले या न चले, यह भरना ही पड़ेगा। उन्होंने राज्य सरकार से अपील की है कि टैक्स और इंश्योरेंस दोनों खर्च को कोरोना महामारी के दौरान माफ कर प्राइवेट ट्रांसपोर्ट्स को राहत दी जाए। इसके साथ साथ डीजल की कीमतों में 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाए।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/35RXBkJ
No comments:
Post a Comment