ओडिशा से एक महिला को 4 दिन पहले इलाज के लिए मेकॉज लाया गया था यहां महिला ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया और उसकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी। इसके बाद महिला के शव को मेकॉज की मरच्युरी में रखवा दिया गया और ओडिशा के कोटपाड़ के अफसरों को शव का सुपुर्दनामा लेने की जानकारी दी गई।
इसके बाद लगातार तीन दिन तक वहां से कोई भी अफसर न तो शव लेने आया और न ही शव के सुपुर्दनामें की प्रक्रिया पूरी करवाने स्थानीय अफसरों या मृतक के परिजन का सहयोग किया। परिजन भी परेशान होने लगे। मामले की जानकारी बुधवार को कलेक्टर रजत बंसल को मिली तो उन्होंने परिजन से चर्चा की तो परिजन ने शव को जगदलपुर में ही दफन करने की बात कही। इसके बाद कलेक्टर बस्तर ने अफसरों की निगरानी में ही शव का अंतिम संस्कार करवाने की निर्देश दिए।
कलेक्टर के निर्देश मिलने के तत्काल बाद 2 घंटे में ही महिला के शव को स्थानीय मुस्लिम कब्रिस्तान में सुपुर्दे खाक कर दिया गया। इस दौरान पीपीई किट पहनकर परिवार के सदस्य भी अंतिम प्रक्रिया में शामिल हुए। परिवार के सदस्यों ने बताया कि वे तीन दिन से ओडिशा के अफसरों के चक्कर काट कर रहे थे, कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। लेकिन जब मामला बस्तर कलेक्टर तक पहुंचा तो उन्होंने तत्काल शव के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू करवाई और दो घंटे में ही परेशानी खत्म कर दी।
कोरोना मरीज की मौत के बाद ये है गाइडलाइन
गौरतलब है कि कोरोना मरीज की मौत होने पर शव को परिजन को नहीं सौंपा जाता है। शव की सुपुर्दगी संबंधित इलाके के तहसीलदार को की जाती है और फिर इलाके का तहसीलदार पूरी सुरक्षा के साथ परिजन की निगरानी में धार्मिक मान्यताओं को पूरा करते हुए शव का अंतिम संस्कार करवाते हैं। कोटपाड़ की महिला की मौत के मामले में भी यही नियम माना जाना था लेकिन ओडिशा के अफसरों के गैरजिम्मेदाराना रवैये की वजह से तीन दिन तक महिला का शव मरच्युरी में पड़ा रहा। कलेक्टर के निर्देश के बाद रेडक्रॉस के उपाध्यक्ष अलेक्जेंडर चेरियन और निगम के अधिकारी हेमंत श्रीवास की देखरेख में शव का अंतिम संस्कार किया गया।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/32DGocy
No comments:
Post a Comment