
10 साल में इस पर सबसे अधिक वर्षा दर्ज की गई है। जिले में 10 साल की औसत वर्षा 393.1 मिमी है। जबकि इस वर्ष अब तक 1280.6 मिमी औसत बारिश जिले में हो चुकी है। 10 वर्ष की तुलना में इस वर्ष अब तक 341.8 मिमी बारिश अधिक हुई है। मानसून के पहले मौसम विशेषज्ञों ने इस वर्ष औसत से अधिक बारिश की संभावना जताई थी। मौसम विशेषज्ञों को अधिक वर्षा की दशा में जितनी बारिश की संभावना थी उससे भी 100 मिलीमीटर अधिक वर्षा अब तक दर्ज की जा चुकी है। मौसम विशेषज्ञों के पूर्वानुमान के अनुसार जिले भर में 1117.7 मिली मीटर बारिश होनी थी।
10 साल में पहली बार बारिश सबसे अधिक हुई है। इसलिए इस वर्ष जिले के सभी जलप्रपातों में पर्याप्त पानी नजर आ रहा है। जिला मुख्यालय के सबसे नजदीकी पर्यटन स्थल रानीदाह जलप्रपात में यह पहली बार है जब जलप्रपात के सभी धारों में पानी की मोटी धार पर ही है। इसी तरह राजपुरी जलप्रपात का नजारा भी बीते 2 महीनों से देखने लायक है। जिले के दनगरी जलप्रपात का अद्भुत नजारा इस वर्ष देखने को मिल रहा है। यहां तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं फिर भी 5 किलोमीटर पैदल चलकर जिले के पर्यटक वहां पहुंच रहे हैं। बाघमारा सहित जिले में कई ऐसे स्थान हैं जहां बहुत पहले जलप्रपात हुआ करते थे, जो इस वर्ष की बारिश में फिर से उभर कर सामने आए हैं।
जिले के सभी जलाशय भरे
यह पहली बार है जब जिले के सभी जलाशयों में शत-प्रतिशत जलभराव हो चुका है। जल संसाधन विभाग के मुताबिक कुछ जलाशयों में पानी ओवरफ्लो होने की दशा में कई बार एनीकट की गेट को खोल कर पानी भी पाया जा चुका है। 2 साल पहले जिले में बारिश की स्थिति इतनी खराब थी कि अक्टूबर महीने तक जिले के प्रमुख जलाशयों में आवश्यक 23% ही जलभराव हो पाया था। बीते साल की बारिश में जलाशयों की स्थिति में कुछ सुधार हुआ था। पर इस वर्ष सभी जिला से अपनी पूरी क्षमता से भरे हुए हैं। नीमगांव, सोगड़ा तालाब, सरडीह, डंडगांव तालाब, लवाकेरा, कोरपारा, अंकिरा, साजापनी, केराकछार, तमता, बलजोरा, बेलसोंगा, खमगड़ा, गेवरानाला, बालाझर, घरजियाबथान, खरकट्टा, पीठाआमा जलाशय में शत प्रतिशत पानी भर चुका है।
अच्छी बारिश इसलिए किसान भी निश्चिंत
यह साल खेती के लिहाज से एक बेहतर साल साबित होने वाला है। कई सालों में पहली बार खरीफ के किसान बारिश को लेकर बेहद निश्चिंत रहे। हर साल बारिश की अनिश्चितता को लेकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच जाती थी। इस बार ऐसी नौबत एक बार भी नहीं आई। जून के आखिरी सप्ताह से शुरू हुई बारिश अब तक हो रही है। बारिश में एक बार भी ऐसा गेप नहीं आया कि खेतों में दरार पड़ना तो दूर नमी भी दूर हो। इस वर्ष जिले में कुल ढाई लाख हेक्टेयर भूमि पर खरीफ की फसल लगी है। जिसमें 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की फसल किसानों ने लगाई है। कृषि विभाग के मुताबिक इस वर्ष अन्य सालों की तुलना में धान के बंपर उत्पादन की संभावना है।
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