एमसीआई से मेडिकल काॅलेज अंबिकापुर को अगले सत्र के लिए मान्यता मिल गई है। इसको लेकर सोमवार की शाम को एमसीआई का मेल प्रबंधन को आया तो पता चला। यह काॅलेज के लिए बड़ी उपलब्धि है। कोरोना काल में प्रबंधन के सामने काॅलेज की कमियों को दूर करना एक चुनौति से कम नहीं थी। सबसे बड़ी दिक्कत इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ पांचवें सत्र की जरूरत के अनुसार फैकल्टी की कमी को दूर करना था। आखिरकार अपनी तैयारी पर कालेज एमसीआई के मापदंड पर खरा उतरा और फर्स्ट ईयर में 100 सीट के लिए अनुमति मिल गई। काॅलेज 2016 में शुरू हुआ था। इसके बाद सिर्फ 2018 में एमसीआई से मान्यता मिली जबकि 2017 व 2019 में कमियों के कारण इसे जीरो ईयर घोषित कर दिया गया था। 2016 का बैच अब अंतिम वर्ष में पहुंच गया है और एमसीआई इसके निरीक्षण के लिए आखिरी बार अक्टूबर के बाद कभी भी आ सकती है। इसके बाद काॅलेज को स्थाई मान्यता मिल जाएगी।
एमसीआई ने ऑनलाइन की थी विजिट, तैयारियों से थी संतुष्ट
एमसीआई की टीम इस बार काॅलेज की तैयारियों का ऑनलाइन निरीक्षण किया था। मेडिकल काॅलेज में यूजी की तैयारियों के लिए पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण एमसीआई ने अपने नियमों में बदलाव किया। सितंबर को दूसरे पखवाड़े यह विजिट हुई थी। इसके पहले एमसीआई ने काॅलेज प्रबंधन ने से तैयारियों के संबंध में सारे दस्तावेज व फोटो मंगा लिए थे।
फैकल्टी में 9 फीसदी से नीचे कमी से मान्यता में मिली बड़ी राहत
एमसीआई पांचवे सत्र के निरीक्षण के लिए नवंबर 2019 में आई थी तब फैकल्टी में 23 फीसदी की कमी थी। पांचवें सत्र में यह बड़ी कमी थी 10 फीसदी से कम नहीं होनी चाहिए। प्रबंधन ने इसे 9 फीसदी से नीचे लाया। इसके अलावा लेक्चर हाल, लैब सहित अन्य कमियों को समय रहते दूर कर लिया। इसी का फायदा मिला। ये पूरे काम तत्कालीन डीन डाॅ. आरके सिंह के कार्यकाल में हुआ जो अभी डीएमई बन गए हैं।
स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने कहा- सरगुजा के लिए यह बड़ी उपलब्धि
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा है कि सरगुजा के लिए बड़ी उपलब्धि है। कोरोना के इस दौर में कई चुनौतियां थी लेकिन सभी के प्रयास से जीरो ईयर से मेडिकल काॅलेज बचा। इससे 100 एमबीबीएस छात्रों को मौका मिलेगा। आने वाले वर्षों में व्यवस्था को और बेहतर करेंगे जिससे मान्यता को लेकर जो अड़चनें आ रही थीं वह हमेशा के लिए दूर हो जाएगी।
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