
राजधानी समेत प्रदेश में 10 फीसदी लोग कोरोना संक्रमित निकल रहे हैं। ऐसे में संख्या के लिहाज से मरीजों की संख्या कम जरूर दिखती है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार 10 प्रतिशत पॉजिटिव केस मिलने को कम नहीं माना जा सकता। हालांकि सितंबर में लगभग 10 दिन ऐसे थे जिनमें टेस्ट करवाने वाले 100 लोगों में से 30 तक कोरोना पाजिटिव निकल रहे थे। ताजा आंकड़े इस स्थिति में सुधार की तरफ इशारा कर रहे हैं।
प्रदेश में मंगलवार को 21833 सैंपलों की जांच में 2046 मरीज मिले हैं। सोमवार को 18447 सैंपलों की जांच हुई, जिसमें 1649 पॉजीटिव केस आए। रविवार को 14914 सैंपलों में 1368, शनिवार को 21758 में 2011, शुक्रवार को 25251 में 2459, गुरुवार को 24686 में 2491 केस पॉजिटिव निकले। चाहे कम सैंपलों की जांच हो या ज्यादा, 10 फीसदी कोरोना के मरीज मिल रहे हैं। सोमवार को रायपुर से ज्यादा मरीज राजनांदगांव, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, रायगढ़ और कोरबा में मिले।
जांजगीर-चांपा में सबसे ज्यादा 172 मरीज मिले। मंगलवार को रायगढ़, कोरबा व जांजगीर-चांपा में संक्रमित पाए गए लोगों की संखअया राजधानी से ज्यादा थी। राजधानी में रोजाना औसतन 1500 सैंपलों की जांच हो रही है और इनमें से 100 से 200 के बीच मरीज मिल रहे हैं।
त्योहारी सीजन के कारण लोग जांच से बचने लगे
राजधानी में सोमवार को 99 मरीज मिले, जो अगस्त में मिले मरीज के समान है। 1 अगस्त को 98, 2 अगस्त को 67 व 3 अगस्त को 69 मरीज मिले थे। तब से अब तक 26 अक्टूबर को छोड़कर 100 से कम मरीज नहीं मिले। हालांकि ये आंकड़े राजधानी में कम होते संक्रमण को बता रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि त्योहारी सीजन के कारण लक्षण वाले लोग भी कोरोना जांच नहीं करवा रहे हैं। जिन्हें ज्यादा दिक्कत है, वे ही जांच करवा रहे हैं। ऐसे में लक्षण वाले लोगों में वायरल लोड बढ़ने की आशंका है।
जिन्हें डायबिटीज, हायरपरटेंशन, सिकलसेल, एचआईवी, कैंसर, अस्थमा व दूसरी गंभीर बीमारी है, ऐसे लोग हाई रिस्क में आते हैं। ऐसे लोगों को विशेष ऐहतियात बरतने, सर्दी, खांसी व बुखार होने पर जांच जरूर करवाएं।
"जिन लोगों को कोरोना के लक्षण लग रहे हैं, उन्हें तो जरूर जांच करवा लेना चाहिए। अन्यथा वायरल लोड बढ़ता रहेगा, जो अच्छा नहीं है।"
-डॉ. आरके पंडा, सदस्य कोरोना कोर कमेटी
"एक माह से कोरोना संक्रमण कुछ कम हुआ, इसलिए आईसीयू और आइसोलेशन, दोनों में ही कम मरीज हैं। पर सावधानी बरती जानी चाहिए।"
-डॉ. सुनील खेमका, सीनियर ऑर्थोपीडिक सर्जन
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