
(पंकज राय) स्वच्छ भारत सर्वे-2021 में टॉप-100 में पहली बार आने के लिए निगम ने तैयारी शुरू कर दी है। आम लोगों की भागीदारी बढ़ाने और सॉलिड वेस्ट के बढ़ती समस्या खत्म करने के लिए निगम ने मुहिम चला रखी है। इस बीच स्वच्छता सर्वे-2020 में पहली बार 119वें स्थान के साथ अपने टॉप रैंक पर रहे जालंधर निगम की मार्कशीट केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने जारी कर दी है।
देश के 10 लाख तक की आबादी वाले 382 शहरों की कैटेगरी में निगम कुल 4 वर्ग के 6000 अंक में से 3096 अंक हासिल कर जालंधर पंजाब में चौथे स्थान पर है। सूबे में पहला स्थान पर बठिंडा को 3526, दूसरे स्थान पर रहे पटियाला को जालंधर के मुकाबले 371 अंक और तीसरे स्थान वाले फिरोजपुर को 293 अंक ज्यादा मिले हैं।
देश के कंटोनमेंट एरिया में सर्वे में पहला स्थान लेकर जालंधर कैंट ने निगम को आइना दिखाया है। बावजूद इसके निगम सबक नहीं ले पाया है। कारण कैंट में घरों से कूड़ा उठाने के साथ ही सेग्रीगेशन के साथ ही पिट में गीले कूड़े से खाद बनाकर कूड़े के ढेर की समस्या खत्म हो चुकी है। लेकिन दो साल पहले पिट कंपोस्ट का प्रोजेक्ट शुरू करने वाला निगम अब तक इसे सिरे नहीं चढ़ा पाया है।
सूबे में पहले स्थान पर रहे बठिंडा को मिले 3526 अंक
निगम बठिंडा के मुकाबले सर्विस लेवल प्रोग्राम और सिटीजन फीडबैक के वर्ग में नंबर लेने में पीछे रहा अन्यथा पहली बार देश में अंडर-100 में आ सकता था। कारण बठिंडा में निगम की ओर से डोर-टू-डोर कलेक्शन, सेग्रीगेशन के साथ प्रोसेसिंग की व्यवस्था है, जो जालंधर में अब तक नहीं हो पाया है तो दूसरी ओर आम लोगों की भागीदारी के मामले में जालंधर के सिर्फ 8213 लोग अपना योगदान दे सके, जबकि मुकाबले कम आबादी होने के बावजूद बठिंडा से इसमें 15143 लोगों ने भागीदारी कर ज्यादा नंबर पाने में कामयाब रहा।
सेग्रीगेशन और पिट प्रोजेक्ट से बढ़ेगी रैंकिंग
निगम के हेल्थ ब्रांच के इंचार्ज डॉ. श्री कृष्ण शर्मा का कहना है कि सिटी में घर-घर कूड़ा कलेक्शन हो रहा है। लेकिन 100 फीसद सेग्रीगेशन और रोजाना प्रोसेस करने की व्यवस्था पर काफी काम चल रहा है। इससे ही अगले सर्वे में रैंक में सुधार होगा। आम लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए मेयर-कमिश्नर की अगुआई में मेरा कूड़ा-मेरी जिम्मेवारी की मुहिम चल रही है, इससे निगम अंडर-100 में रैंक पा सकता है।
अब अंडर-100 में आने के लिए खत्म करना होगा कूड़े का ढेर
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने साल 2020-21 के सर्वे के लिए नियमों में भी बदलाव किया है। इस साल डायरेक्ट ऑब्जरवेशन की कैटेगरी खत्म कर दी गई है। कुल अंक 6000 ही होंगे, लेकिन इसमें सर्वाधिक चुनौती सर्विस लेवल प्रोग्राम की होगी, जिसके लिए 2400 अंक रखा गया है। अर्थात कूड़ा सेग्रीगेशन और प्रोसेसिंग बेहतर होने पर ही रैंक में सुधार होगा। इसके अलावा सिटीजन फीडबैक के लिए 1800 और सर्टिफिकेशन के लिए भी 1800 में बेहतर अंक पाने की चुनौती होगी।
योजनाओं में विस्तार से हर साल सुधर रही है रैंकिंग


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