देवी दंतेश्वरी के शहर दंतेवाड़ा की बहादुर शक्तियां नक्सलियों द्वारा लगाई गई आईईडी डिफ्यूज करने से लेकर वैश्विक महामारी कोरोना को मात देने तक जुटी हुई हैं। आज शारदीय नवरात्र की सप्तमी है और हम दंतेवाड़ा उन 7 शक्तियों के बारे में बता रहे हैं जिनकी बहादुरी और हौसले सबसे ज़्यादा सुर्खियों में रहे हैं। ये उन लड़कियों और महिलाओं के लिए बड़ी प्रेरणा हैं जो चुनौतियां देख कई बार हार मानना शुरू कर देती हैं।
पति के साथ खुद भी डीआरजी में, आईईडी डिफ्यूज करती हैं
दंतेवाड़ा डीआरजी टीम की दो महिला कमांडो इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। मुख्यमंत्री और राज्यपाल की जुबान पर लक्ष्मी कश्यप व विमला का नाम रहा है। ये वे महिला कमांडो हैं जो पुरुष जवानों के साथ खुद भी नक्सलियों द्वारा लगाए गए बम ढूंढ़कर निष्क्रिय करती हैं। विमला के पति भी डीआरजी टीम में हैं। वे कहती हैं कि पति मेरी प्रेरणा हैं। बम डिफ्यूज करने में अब डर नहीं लगता है। अब तक 3 आईईडी डिफ्यूज कर नक्सलियों के प्लान फेल कर चुकी हैं।
घायल जवानों को पानी पिलाया फिर अस्पताल भी पहुंचाया था
साल 2003-04 को गीदम की बहादुर बेटी सरस्वती सेठिया सबसे ज्यादा सुर्खियों में थीं। नक्सलियों ने गीदम थाने में हमला किया था। जवानों की शहादत हुई और घायल भी हुए थे। हवलदार पिता नक्सलियों से लोहा ले रहे थे।इस बीच 18 साल की बेटी सरस्वती ने बहादुरी दिखाई। थाने जाकर घायल जवानों को पानी पिलाया और अस्पताल पहुंचाने में मदद की थी। पुलिस में आरक्षक की नौकरी तो मिली पर किसी भी सरकार ने सम्मान तक देना मुनासिब नहीं समझा।
गोलीबारी के बीच घायल भाई को कंधे पर लादकर ले गई
नकुलनार की रहने वाली अंजली सिंह गौतम की भी बहादुरी के चर्चे भी सबसे ज़्यादा सुर्खियों में थे। साल 2010 में अंजली के पिता अवधेश सिंह गौतम को मारने की नीयत से घर में घुसकर नक्सलियों ने हमला किया था। घर में अफरा-तफरी मची, अंजली के भाई को पैर में गोली लगी। भाई को कंधे पर लादकर अंजली गोलीबारी के बीच निकालकर ले गई थी। इस बहादुरी के लिए राष्ट्रपति के हाथों जीवन रक्षा पदक राष्ट्रीय वीरता पदक पुरस्कार मिला।
नक्सलियों ने बहन को मारा तो बदला लेने उठाया हथियार
दंतेवाड़ा डीआरजी टीम में फूलो भी सबसे चर्चित नाम है। फूलो ने ऐसे ही नक्सलियों के खिलाफ हथियार नहीं उठाया बल्कि अपनी बहन का बदला लेने डीआरजी में भर्ती हुईं। फूलो ने बताया कि मां-पिता के सामने नक्सलियों ने बहन की बेरहमी से हत्या की थी। परिवार को गांव से भगाया था। वो मंजर याद कर आज भी खून खौलता है। नक्सलियों से बदला लेना है। इसलिए मैंने डीआरजी ज्वाइन की। हमेशा नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दूंगी।
परिवार-पार्टी ने साथ छोड़ा अपने दम पर जीतीं चुनाव
तूलिका कर्मा पिछले करीब 7 सालों से दंतेवाड़ा का बेहद चर्चित चेहरा हैं। पहले अपनी विधायक मां देवती कर्मा के साथ कदम से कदम मिलाकर चलीं। लोगों की सेवाकर खुद को स्थापित किया। लेकिन जब जिला पंचायत सदस्य चुनाव लड़ने की बारी आई तो पार्टी और परिवार सभी ने तूलिका का साथ छोड़ दिया। तब भी हार नहीं मानी, अपनी ताकत दिखाई। मैदान में डटी रहीं और आखिरकार भारी मतों से जीत हासिल की।
कोरोना को मात देकर फिर मैदान में इलाज करने जुटीं
आरती मिंज नक्सलगढ़ गांव अरनपुर के हेल्थ वैलनेस में एएनएम हैं। वे कोरोनाकाल में भी ककाड़ी, नहाड़ी जैसे धुर नक्सलगढ़ में डटी रहीं। गांव-गांव पहुंचकर प्रवासी मजदूरों की जांच की। इसी दौरान ड्यूटी के बीच खुद कोरोना संक्रमित हो गईं। तब भी आरती ने हिम्मत नहीं हारीं। वे कोरोना को मात देकर काम पर लौटीं, स्क्रीनिंग से लेकर महिलाओं की डिलीवरी, मरीजों के इलाज में जुटी हुई हैं। इसी तरह जुटकर कोरोना को हराना है।
सेवा के लिए नहीं बसाया घर गरीबों की करती हैं सहायता
हीरानार की अंती वेक भी नारी शक्ति की मिसाल हैं। इनकी प्रेरणा भी दंतेवाड़ा की एक जानी मानी महिला हस्ती बुधरी ताती हैं। बच्चों, महिलाओं के उत्थान के लिए बुधरी ने अपना घर नहीं बसाया। निःस्वार्थ भाव से सेवा करती हैं। इनसे प्रेरित होकर अंती वेक ने भी अपना घर सिर्फ इसलिए नहीं बसाया कि सेवा प्रभावित न हों। वृद्धाश्रम के बुजुर्गों की बेटी की तरह सेवा करती हैं। अंती अभी जनपद पंचायत गीदम की अध्यक्ष हैं।
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