ईडी के छापे के बाद चर्चा में आए वन्य प्राणियों के अवशेष की तस्करी के मामले में जांच में खामियों का नया भंडाफोड़ हुआ है। जड़ी-बूटी की दुकानों में छापे के 2 साल बाद वन विभाग के अफसरों ने केस का चालान तैयार किया और इसी महीने कोर्ट में पेश किया। उसमें इतनी खामियां थी कि कोर्ट ने चालान लौटाया और 7 बिंदुओं को पूरा करने के बाद चालान पेश करने को कहा गया है। अब विभाग में खलबली है कि चालान को कैसे सुधारा जाए, क्योंकि छापा मारने वाले अफसरों के साथ-साथ चालान तैयार करने वाले ज्यादातर अफसरों का तबादला हो चुका है। ईडी के छापे और जांच में कई तरह के सवाल खड़े होने के बाद ये प्रकरण खासा चर्चित हो चुका है। इस वजह से भी अब अफसर इस मामले से कतरा रहे हैं। कोई स्पष्ट जानकारी भी नहीं दे रहा है। अफसर तो फोन कॉल ही रिसीव नहीं कर रहे हैं। रायपुर डीएफओ बीएस ठाकुर ने केवल इतना बताया कि कोर्ट ने कुछ कमियों के कारण चालान लौटाया है। उन कमियों को पूरा कर दोबारा चालान पेश किया जाएगा। कमियां क्या और क्यों है? इस बारे में उन्होंने कहा कि चालान उनके ऑफिस में नहीं है। इसलिए वे ज्यादा नहीं बता सकेंगे। दो साल पहले 2018 में वन विभाग की टीम ने गोलबाजार की दो जड़ी-बूटी दुकानों में छापे मारकर वहां से शेड्यूल-1 यानि प्रतिबंधित वन्य प्राणियों के अवशेष जब्त किए थे।
उस मामले में वन विभाग ने अब चालान पेश किया है। इस दौरान दो कारोबारियों में एक के खिलाफ कोई केस नहीं बनाया गया। उन्हें क्लीन चिट देते हुए केवल रत्नेश गुप्ता को ही आरोपी बनाया है। उसी केस का चालान पेश किया गया था। ये मामला पिछले हफ्ते ईडी के छापे के बाद दोबारा चर्चा में आया है। ईडी ने रत्नेश गुप्ता के साथ विजय गुप्ता पर छापे मारकर उनके आय के स्रोत के बारे में जांच की है। खबर है कि ईडी के हरकत में आने के बाद ही आनन-फानन में चालान पेश किया गया था।
नकली अवशेष रखने का हल्ला
वन्य प्राणियों के अवशेष जब्त करने के बाद तुरंत कार्रवाई नहीं की गई। दोनों कारोबारियों को डीएफओ ऑफिस से जमानत देने के बाद जब्त माल वहीं रख दिया गया। बाद में सीलबंद अवशेष की जगह एक अाफिस से दूसरे ऑफिस बदलती रही। इसी बीच विभाग में जमकर हल्ला मचा कि जब्त अवशेष को निकालकर उसकी जगह प्लास्टिक के नकली अवशेष रख दिए गए हैं। अफसरों ने गुप्त तौर पर जांच करवायी। जांच में प्लास्टिक के अवशेष तो मिले लेकिन कुछ असली अवशेष भी मिल गए।
इस वजह से पूरे मामले को वहीं दबाकर बचे हुए अवशेष फोरेंसिक जांच के लिए हैदराबाद की लेबोरटी भेज दिया गया। एक साल पहले वहां से रिपोर्ट आ गई। उसके बाद भी चालान अब पेश किया गया।
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