
राजधानी के निजी अस्पतालों में तय शुल्क से ज्यादा फीस लेने और कोरोना मरीजों को बेड नहीं देने की लगातार शिकायतों के बाद कलेक्टर ने अब लगभग सभी बड़े प्राइवेट अस्पतालों में प्रशासनिक अफसरों की नियुक्ति कर दी गई है। यह सभी अफसर अलग-अलग अस्पतालों में नोडल अफसर बनकर काम करेंगे। प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों से ज्यादा शुल्क लिया गया या मृत्यु के बाद शव देने के लिए परेशान किया गया तो अफसर तत्काल कार्रवाई करेंगे। रायपुर में इस तरह की व्यवस्था पहली बार की गई है।
सभी बड़े प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना इलाज के दौरान किसी भी तरह की परेशानी हो तो मरीज या उसके परिजन तय अफसरों से सीधी शिकायत कर सकते हैं। उनके मोबाइल नंबर भी सार्वजनिक किए गए हैं। संबंधित अफसरों की जानकारी देने के लिए अस्पताल प्रशासन से कहा गया है कि वे अपने मुख्य प्रवेश द्वार या ओपीडी पंजीयन केंद्र के पास इसकी जानकारी देने वाले पोस्टर भी चस्पा करें। ताकि मरीज या उनके परिवारवाले किसी भी तरह की परेशानी होने पर तत्काल शिकायत कर सकें।
ज्यादा बिलिंग की शिकायत के बाद कलेक्टर ने की पहल
प्रशासन को इस बात की भी शिकायत मिल रही थी कि कई प्राइवेट अस्पताल अभी भी कोरोना इलाज के नाम पर ज्यादा बिलिंग कर रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से तय जांच शुल्क और इलाज की रकम भी बढ़ाकर ली जा रही है। कोरोना टेस्टिंग के लिए भी अतिरिक्त शुल्क की वसूली की जा रही है। इसके बाद ही कलेक्टर डॉ. एस भारतीदासन ने शहर के 28 बड़े अस्पतालों की सूची जारी की है। इन अस्पतालों में एक-एक नोडल अफसर तैनात किए गए हैं। यह अफसर समय-समय पर अस्पताल जाकर मरीजों से उनके इलाज और शुल्क की भी जानकारी लेंगे। इसकी रिपोर्ट हर दिन कलेक्टर को दी जाएगी। एडीएम विनीत नंदनवार और जिला अस्पताल के सिविल सर्जन इन सभी अफसरों के बीच समन्वय बनाने का काम करेंगे। अफसरों से रिपोर्ट भी इन्हीं लोगों की ओर से कलेक्ट की जाएगी। अस्पतालों में मनमानी मिली तो इसी रिपोर्ट के आधार पर कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी।
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