
20 साल पुराना जिला मुख्यालय होने के बावजूद अभी भी शहर में सुविधाएं कस्बे की तरह ही है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के तहत शहर में निर्माण नहीं हुए, जिसका खामियाजा आज तक शहर की जनता भुगत रही है। कुछ साल पहले शहर के विस्तार की योजना थी। आसपास के 16 गांव को शहर में शामिल करने की योजना थी। शहर का विस्तार होता शहर के विकास की उम्मीद भी थी, पर यह भी अब ठंडे बस्ते में चला गया है। वर्तमान में हालात ऐसे हैं कि आम जनता की सुविधाओं के लिए कुछ भी निर्माण कार्य के लिए पालिका के पास नगरीय क्षेत्र में खाली सरकारी जमीन ही नहीं बची है। कुछ महीने पहले कब्जे की जमीन का पट्टा देने की सरकारी योजना ने पालिका की परेशानी और बढ़ा दी है।
शहर की वर्तमान स्थिति की बात करें तो आज भी शहर की सड़कें इतनी संकरी हैं कि आवश्यकता महसूस होने के बावजूद किसी भी चौराहे पर सिग्नल लाइट नहीं लगाई जा सकी है। शहर में गौरवपथ का निर्माण बीते साल पूरा हुआ है। गौरवपथ में सिर्फ दो किमी सड़क ही चौड़ी बन सकी, जिसमें डिवाइडर बना है। शहर की आबादी को पानी मुहैया कराने के लिए जलावर्धन योजना दो साल पहले किया गया है। वार्ड क्रमांक 1 आज भी इस योजना के लाभ से अछूता है। जिला मुख्यालय का बस स्टैंड ऐसा है जहां यात्रियों के लिए ना बैठने की व्यवस्था है और ना ही पीने के लिए पानी की। यात्री पेड़ की छांव या दुकानों के छज्जे के नीचे बस का इंतजार करते हैं। जिला बनने के तुरंत बाद तात्कालीन कलेक्टर एमआर सारथी ने शहर को लेकर ड्राइंग डिजाइन तैयार किया था। इससे पहले कि कस्बा शहर का रूप ले पाता, उनका स्थानांतरण हो गया। इसके बाद भी जशपुर को शहर का रूप देने की विशेष पहल नहीं हुई। 2013-14 में तात्कालीन कलेक्टर अंकित आनंद के वक्त शहर की सड़कों को चौड़ा करने के लिए काम शुरू किया था, पर उस वक्त भी सड़क किनारे के सिर्फ सरकारी निर्माण को तोड़ा जा सका। शहर की ड्राइंग डिजाइन नगरीय निवेश की फाइलों में कैद है। शहर का विकास इससे हटकर लोगों के हिसाब से चल रहा है।
बच्चों के लिए पार्क भी नहीं बन पाए
शहर में बच्चों के लिए एक भी पार्क नहीं है। पूर्व में रानी सती पार्क हुआ करता था, जहां बच्चे व बड़े सभी के लिए सुविधाएं थीं। पार्क को बंद कर शादी-ब्याह व व्यवसायिक उपयोग में लाने का काम शुरू किया गया। बाला साहब देशपाण्डेय चौक के पास एक बालोद्यान बनाया है, जहां बच्चों के लिए झूले तक नहीं बचे हैं। पार्क में हमेशा ताला लटका होता है। गम्हरिया के पास चिल्ड्रन पार्क की मंजूरी मिली पर निर्माण नहीं हो पाया है।
दूसरी सड़क पर कर दिया है गौरवपथ का निर्माण
शहर की मुख्य सड़क बाला साहब देशपांडेय पार्क से पुरानीटोली होते हुए बस स्टैंड जाने वाली सड़क बेहद संकरी है, जबकि गौरवपथ का निर्माण इसी सड़क पर किया जाना था, क्योंकि यह बस स्टैंड तक जाती हैं। शहर के तमाम बड़े व्यवसायिक प्रतिष्ठान इसी सड़क पर होने से यहां जाम लगता है।
यात्री प्रतीक्षालय की जगह बना शॉपिंग कॉम्पलेक्स
शहर के बस स्टैंड का निर्माण ड्राइंग डिजाइन से उल्टा कर दिया है। जिस स्थान पर यात्री प्रतीक्षालय बना था, वहां पर शापिंग कॉॅम्प्लेक्स बना दिए हैं और जिस हिस्से में कॉम्पलेक्स बनना था वहां प्रतीक्षालय। नतीजा यात्री प्रतीक्षालय बस खड़ी होने वाले स्थान से पीछे और दूर है।
शहर के मास्टर प्लान में 16 गांव किए हैं शामिल
नगर व ग्राम निवेश विभाग ने जशपुर को लेकर जो मास्टर प्लान तैयार था, उसमें आसपास के 16 गांव को शामिल किया है। इस मास्टर प्लान में जशपुर पालिका की सीमा के भीतर जशपुरनगर, टिकैतगंज, गिरांग, बालाछापर, बाधरकोना, तपकरा, बघिमा, गम्हरिया, सारूडीह, कोंबड़ो, भभरी, रानीबगीचा, पुरनानगर, जुरगुम सहित अन्य गांव शामिल किया था। पर यह मास्टर प्लान अब ठंडे बस्ते में जा चुका है।
सुविधाएं बढ़ाएंगे: गुप्ता
नगर पालिका उपाध्यक्ष राजेश गुप्ता का कहना है कि शहर में विकास व सुविधाएं जुटाने के लिए कई योजनाएं तैयार की गई है। पक्कीडांड़ी के पास सौन्दर्यीकरण, घाट निर्माण व महाराजा चौक के पास सौन्दर्यीकरण का काम किया जाना है। इसके अलावा सभी चौक-चौराहों का सौन्दर्यीकरण होगा। चिल्ड्रन पार्क की भी प्लानिंग है। इसके लिए स्थल चयन किया जा रहा है। शहर में कई स्थानों पर नए शॉपिंग कॉम्पलेक्स का निर्माण हाेना है। स्वच्छता के मामले में हम अव्वल रहे हैं। सुविधाओं का विस्तार सतत प्रक्रिया है। अभी कोरोना संक्रमण काल में विकास के काम प्रभावित हुए हैं।
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