
स्थानीय गांव सहेड़ी में छोटे साहिबजादों व माता गुजरी जी की याद में बनाए जा रहे स्मारक का काम पिछले 15 दिन से बंद पड़ा है। बता दें कि 26 दिसंबर 2004 को इस शहीदी स्मारक का नींव पत्थर रखा गया था। इसका पहला पड़ाव पूरा होने पर 21 दिसंबर 2006 को कैबिनेट मंत्री अंबिका सोनी की हाजरी में तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उद्घाटन किया गया था। इसके बाद 2007 में पंजाब में अकाली-भाजपा सरकार आने के बाद स्मारक के दूसरे पड़ाव का काम शुरू नहीं हुआ और न 10 साल तक बनाए गए हिस्से की संभाल की गई।
अब यहां घास-फूस उगी हुई है। प्रदेश में फिर से कांग्रेस सरकार बनने पर इसी साल जुलाई में 2 करोड़ की लागत से काम शुरू हुआ था जो फिर से बंद है। इसे दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन ऐेसे हालात में यह प्रोजेक्ट दिसंबर तक किसी भी हालत में पूरा नहीं हो सकता क्योंकि अभी तक नाममात्र काम ही हुआ है। स्मारक को पंजाब सरकार 2 एकड़ में बना रही है। इसमें सिख इतिहास को दर्शाती चीजें लगाई जाएंगी। जो माता गुजरी, छोटे साहिबजादों और श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के परिवार से संबंधित होंगी।
स्मारक को बड़ा और बेहतर बनाने का प्रयास : कैबिनेट मंत्री
इस संबंध में कैबिनेट मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी ने बताया कि इस स्मारक को और बड़ा व अच्छा बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके चलते इसके पीछे ही और जमीन लेने की कोशिश की जा रही है। पंचायती जमीन को ट्रांसफर करवाने की भी कोशिश की जा रही है। अगर जमीन ट्रांसफर होती है तब भी अगर न हुई तब भी स्मारक को बनाने का काम एक-दो दिन में फिर से शुरू हो जाएगा।
माता जी और बच्चों को मोरिंडा की कोतवाली में रख गया था
उल्लेखनीय है कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के परिवार के विछोड़े के दौरान छोटे साहिबजादे जोरावर सिंह व फतेह सिंह और माता गुजरी को उनका रसोइया गंगू अपने घर सहेड़ी में लेकर आया था। जहां मुगल शासकों की ओर से साहिबजादों व माता गुजरी जी को गिरफ्तार करके मोरिंडा की कोतवाली में बंद कर दिया गया था।
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