जिले में 122 स्व-सहायता समूहों की महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों के आंगनबाड़ी केंद्रों में राशन दे रहीं हैं। लॉकडाउन में महिलाओं ने खुद की राशि लगाकर मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत गर्भवती, शिशुवती महिलाएं और बच्चों को घर-घर जाकर सूखा राशन बांटा।
राशन बांटने के बाद महिलाओं ने महिला बाल विकास विभाग ब्लाॅक स्तर के परियोजना अधिकारियों से राशि की मांग की लेकिन अब तक उनके रुपए नहीं मिले हैं।
विभाग द्वारा मार्च से राशि का भुगतान नहीं किया गया था।
अगस्त महीने में भास्कर में खबर प्रकाशन के बाद मार्च और अप्रैल महीने की राशि जारी की गई थी। इसके बाद मई से राशि नहीं आने की जानकारी दी। एक महीने के अंदर पूरी राशि देने की बात अधिकारियों ने कही थी, लेकिन 5 महीने बीतने के बाद भी पूरी राशि नहीं मिल पाई।
महिला स्वसहायता समूह की महिलाओं को 5 महीने मई से सितंबर तक की राशि नहीं मिली है। अक्टूबर महीने से विभाग द्वारा सामग्री दी जा रही है। महिलाओं ने दीपावली के पूर्व भुगतान न होने पर प्रदर्शन की बात कही है।
दुकानदार मांग रहे पैसे
समूह की महिलाओं ने बताया कि दुकानदारों से उधार में सामान लेकर महिलाओं व बच्चों को बांटे हैं। राशन नहीं मिलने से दुकानदार भी उधार में सामान देना बंद कर दिए हैं। बार-बार घर में आकर राशि की मांग करने लगे हैं।
इधर अधिकारियों के पास राशि जानकारी लेने जाते हैं, तो एक सप्ताह में भुगतान करने की बात कही जाती है। राशि की मांग करते दो महीने बीत गए, पर अब तक भुगतान नहीं किया गया।
इस प्रकार बच्चों को बांटा सूखा राशन
समूह की महिलाओं ने सुपोषण अभियान के तहत शिशुवती महिलाओं को दाल, चावल, सोयाबड़ी, दाल, लड्डू, गर्भवती महिलाओं को सोयाबड़ी घर-घर जाकर बांटा। 6 माह से 3 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों को चावल, दाल, सोयाबड़ी, लड्डू बांटे। 3-6 के बच्चों को साेयाबड़ी दिया।
लगातार 6 महीने तक घर में पहुंचकर राशन बांटे। महिला बाल विकास विभाग के कार्यक्रम अधिकारी एमडी नायक ने कहा कि समूह की महिलाओं को मई महीने से राशि का भुगतान नहीं हो पाया है। खनिज न्यास मद से राशि का भुगतान किया जाना है। जल्द भुगतान कर दिया जाएगा।
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