
कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का प्रदर्शन 19 दिनों से लगातार जारी है। जिले भर में किसान दिल्ली-लुधियाना रेलवे ट्रैक, टोल प्लाजा, रिलायंस पेट्रोल पंप व भाजपा नेताओं के घरों के सामने डटे हुए है। वहीं, प्रदर्शन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले किसान मेघराज बावा का 11वें दिन भी अंतिम संस्कार नहीं हो पाया।
मृतक के परिवार को मुआवजा व नौकरी देने की मांग को लेकर भाकियू उगराहां का गांव बेनड़ा में संगरूर-लुधियाना रोड पर पक्का धरना पांच दिनों से जारी है। सोमवार को भाकियू उगराहां के किसानों ने संगरूर में भाजपा नेता सतवंत पुनिया और सुनाम में ऋषिपाल खैरा की गैस एजेंसी का तीन घंटे तक घेराव किया।धरने में पंजाब किसान सभा के राज्य सचिव सुखदर्शन सिंह, कुल हिंद किसान सभा (अजय भवन) के राज्य नेता
बलदेव सिंह, भाकियू डकौंदा के कर्म सिंह, किरती किसान यूनियन के भूपिंदर लौंगोवाल, कुल हिंद किसान सभा के मित्त सिंह, भाकियू राजेवाल के गुरमीत कपियाल और भाकियू सिद्धूपुर के सुरजीत सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि विरोधी काले कानून पास कर दिए हैं। जिसकी झलक धान के सीजन में दिखनी शुरू हो गई है। जिले की अनाज मंडियों में 25 प्रतिशत धान यूपी व बिहार जैसे राज्यों से आकर बिकने लगा है, जिसका खमियाजा इस सीजन में पंजाब के किसानों को भुगतना पड़ेगा। अब उनकी धान की फसल की बिक्री समय पर नहीं हो पाएगी। शैलर मालिक दूसरे राज्यों का धान कम दाम पर खरीद कर पहले ही अपने
गोदाम भर लेंगे। इस सबंधी पंजाब सरकार को अपील भी की गई कि वह बाहरी राज्यों के धान की खरीद पर रोक लगाए मगर अभी तक बाहरी राज्यों से धान आना जारी है। कुलहिंद किसान फेडरेशन के किरणजीत सेखों, कुल हिंद किसान सभा के जरनैल सिंह, जमहूरी किसान सभा के बीरवल सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार किसानी मसलों पर गंभीर नहीं है क्योंकि केंद्र सरकार को लगता है कि धान के सीजन में किसानों का प्रदर्शन ठंडा पड़ जाएगा मगर किसान संघर्ष हर हाल में जारी रखेंगे। अब किसानों के साथ-साथ गांव के युवा व महिलाएं भी प्रदर्शन में शामिल होने लगे हैं जबकि किसान धान की फसल की कटाई करने में जुट गए हैं।
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