
देश में रबड़ चप्पल इंडस्ट्री की शुरुआत करने वाले कारखाने जालंधर में 400 से कम होकर 100 ही रह गए हैं। जहां रबड़ चप्पल और फुटवियर के कंपोनेंट्स बनाने वाले यूनिट बामुश्किल दोबारा पांव पर खड़े हो रहे हैं तो जीएसटी के जटिल नियम उनके लिए परेशानी पैदा कर रहे हैं।
जालंधर की रबड़ फुटवियर मेन्यूफेक्चरर्स एसोसिएशन ने मीटिंग करके जीएसटी और फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट के नोटिसों का मुद्दा उठाया है। एसोसिएशन के प्रेसिडेंट नीरज अरोड़ा ने कहा कि जीएसटी लागू करते हुए सरकार ने कहा था कि जब कोई कारखाना मशीनरी की खरीद करेगा तो उस पर जीएसटी नहीं देना होगा। अब दिक्कत ये है कि रबड़ इंडस्ट्री जो भी मशीनरी खरीद रही है, उस पर टैक्स देना पड़ रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री चाहे 5 मरले की है या फिर 500 मरले की है, सबको 2000 रुपया फीस देकर फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट लेने के नोटिस दिए गए हैं। कोरोनकाल में नोटिसों का प्रेशर परेशान कर रहा है, फीस कम होनी चाहिए।
दूसरी तरफ एसोसिएशन के चेयरमैन बीबी ज्योति ने बताया कि जीएसटी में मशीनरी खरीद पर छूट इसलिए दी थी ताकि इंडस्ट्री फंड्स की बचत कर सके। अब रबड़ इंडस्ट्री के मामले में ये दिक्कत है कि तैयार रबड़ चप्पल 5 फीसदी टैक्स पर बिकती है। जबकि फैक्ट्री मालिक को इसके कच्चे माल पर 18 फीसदी टैक्स देना होता है। सरकार बचा 13 फीसदी टैक्स रिफंड करती है, जब पहले ही रिफंड सिस्टम के चलते फैक्ट्री वालों का सरकार की तरफ कोई टैक्स बकाया नहीं होता है तो वह कैसे मशीनरी खरीदने पर दिया टैक्स कटवाएगा? रबड़ इंडस्ट्री पर सरकार का नियम फिट नहीं है।
इसलिए रबड़ चप्पल इंडस्ट्री के लिए अलग से मशीनरी खरीद पर टैक्स छूट का नियम बनना चाहिए। मीटिंग में जनरल सेक्रेटरी कपिल पुंछी, अमित चड्डा, राजिंदर अरोड़ा, रमन जुलका, देविंदर घई, रिंकू जुलका, बिट्टू घई, नीरज कोहली, विजय शर्मा, सुनील चावला, मनू ज्योति, सुधीर गुप्ता, हनू गुप्ता, सन्नी पुंछी, राहुल अरोड़ा, अमित गुप्ता और रोबिन अरोड़ा मौजूद रहे।
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