अतिक्रमणकारियों से त्रस्त ग्राम पंचायत सुरसाबांधा के सरपंच सहित सभी 20 पंचों ने प्रशासन से सहयोग नहीं मिलने के चलते अंतत जिला प्रशासन के सामने सामूहिक इस्तीफे की पेशकश कर दी।
हांलाकि कलेक्टर ने इस्तीफा लेने इंकार कर दिया और गैरजिम्मेदाराना जवाब देते हुए जनप्रतिनिधियों को बैरंग वापस भेज दिया। इससे चलते पंचायत सुरसाबांधा सभी जनप्रतिनिधियों ने मौके पर ही खासी नाराजगी व्यक्त की।
शुक्रवार को पंचायत प्रतिनिधि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने की शिकायत लेकर जिला मुख्यालय कलेक्टर छत्तरसिंह डेहरे से मिलने पहुचे थे।
कलेक्टर को जनप्रतिनिधियों ने बताया कि सुरसाबांधा में 50 से अधिक लोग ग्राम विकास के लिए प्रस्तावित भूमि पर कब्जा जमाए हुए हैं।
अवैध कब्जे को बेदखल करने पंचायत द्वारा फसल जब्ती की कार्रवाई की जा रही है। फसल जब्ती कार्रवाई से बौखलाए बेजा कब्जाधारी पंच और सरपंच को ही धमका रहे हैं। इसकी सूचना स्थानीय पुलिस और राजस्व अधिकारी को भी दी गई है परंतु उन्हें प्रशासन से किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिल रही है। उन्होंने कलेक्टर से गुहार लगाई कि वे गांव को अतिक्रमणमुक्त करने सहयोग प्रदान करें अन्यथा सभी जनप्रतिनिधियों के इस्तीफे मंजूर करें।
इस अवसर पर ग्राम पंचायत सुरसाबांधा की सरपंच भोजबाई टांडिया, पंच नोहर वर्मा, दुलेश्वरी बाई, तुलसी बाई, अरविंद साहू, गंगा बाई, तालेश्वरी वर्मा, मनोज कुमार, प्रदीप कुमार, हेमलता, तुलसीराम, प्रमिलाबाई, मानबाई, पुष्पाबाई, रेखाबाई, सरोजनीबाई, इंद्राणीबाई, टिकेश कुमार, ताराबाई व देवसिंह ध्रुव सहित अन्य ग्रामीण मौजूद थे।
कार्रवाई का अधिकार एसडीएम को : कलेक्टर
कलेक्टर ने यह कहते हुए उनके आवेदन वापस कर दिए कि अतिक्रमण पर कार्रवाई करने का अधिकार एसडीएम को है, इसलिए वे आवेदन नहीं ले सकते।
कलेक्टर के इस तरह के रवैए से वे हतप्रभ थे। निचले स्तर पर जब उन्हें सहयोग नहीं मिला तो कलेक्टर से फरियाद लगाने गए थे। उनका कहना था कि जब कलेक्टर ने ही हाथ खड़े कर दिए तो आम जनता आखिर जाए तो कहां जाए।
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