
सिविल लाइंस के युवा कारोबारी के अपहरण की प्लानिंग जितनी हाईटेक थी, हाईवे पर किडनैपर को पकड़ने का सीन उतना ही एक्शन पैक था। पुलिस ने सुबह करीब 10.30 बजे सबसे पहले अपहरण गैंग के मास्टरमाइंड को रिंग रोड-2 पर मारुति शो रूम के करीब पकड़ा। वह पुलिस से घिर गया, इसके बाद भी काफी देर तक छकाता रहा। अपनी मोपेड उसने दो पुलिसवालों पर गिराई, जिससे वो घायल हो गए। इसके बावजूद उन्होंने आरोपी का पीछा नहीं छोड़ा। करीब 10 मिनट छकाने के बाद अंतत: उन्हीं पुलिसवालों ने उसे दबोचकर काबू में कर लिया। उसकी निशानदेही पर पुलिस की एक टीम ने किडनैपर को छुड़ाने के लिए जंगल में एक कार का पीछा किया। इस दौरान चलती कार में से एक किडनैपर कूदकर भाग निकला।
आमिर के अपहरण की सूचना पुलिस को बुधवार रात साढ़े 12 बजे मिली। आधे घंटे के भीतर ही एसएसपी अजय यादव के साथ एएसपी क्राइम अभिषेक महेश्वरी, सीएसपी नसर सिद्दीकी और साइबर सेल प्रभारी रमाकांत साहू की बैठक हुई। इसके 11 घंटे बाद अफसरों ने मास्टरमाइंड अमीन को गिरफ्तार करने के बाद पूछताछ की, तब पता चला कि उसकी किडनैप किए गए कारोबारी आमिर पुरानी दोस्ती थी। आरोपी अमीन जानता था कि आमिर का कारोबार जमा हुआ है। उसके परिवार के पास अच्छे पैसे हैं।
भीड़ को गैंगवार की आशंका
रिंगरोड-1 पर जब पुलिस जवान किडनैपर अमीन अली को पकड़ने के लिए उसे दौड़ा रहे थे, तब सड़क पर जाम लग गया। लोगों को लगा कि गैंगवार हो रहा है क्योंकि किडनैपर और पुलिस के जवान सरफराज चिश्ती और मोहम्मद सुल्तान सादे लिबास में थे। जब वह जवानों के चंगुल में फंसा तो वे उसी की मोपेड पर बिठाकर थाने की ओर बढ़ने लगे। तभी उसने बैलेंस बिगाड़कर मोपेड गिरा दी और भागा। हादसे में जवान घायल हुए, लेकिन आरोपी भाग नहीं सका।
लगातार बदलता रहा लोकेशन
अपहृत आमिर का मामला फोन पर लगातार किडनैपरों के संपर्क में था। आमिर के पास दो मोबाइल थे, जिसे आरोपियों ने कब्जे में ले लिया था फिरौती की डील उन्हीं से हुई इसलिए पुलिस को लगातार लोकेशन मिलती रही। किडनैपरों की कार पहले धमधा गई। पुलिस की दो टीमें उस रूट पर भेजी गईं, लेकिन किडनैपर वहां से गंडई, छुईखदान, खैरागढ़, राजनांदगांव, बालोद होते हुए धमतरी पहुंचे और आरंग होते हुए गरियाबंद की तरफ चले गए।
सादे कागज की गड्डियों से 3 को 10 लाख रु. बनाकर बैग में ले गए
आमिर के मामा मोहम्मद हनीफ ने अपहर्ताओं से बातचीत में इतनी सावधानी बरती कि वह भरोसे में आ गए कि पुलिस को सूचना नहीं मिली है। इसके बाद लगातार डील होने लगी। पहले 30 लाख की फिरौती मांगी गई। अंतत: 10 लाख रुपए में मामला जम गया। उसके बाद गैंग का मास्टरमाइंड कार से रायपुर में उतरा और गाड़ी आरंग की ओर चली गई। उसी ने आमिर को मामा को सुबह 10 बजे पैसे लेकर भाठगांव रिंगरोड के पास बुलाया। मामा ने कहा कि अकेले नहीं, भाई के साथ आ सकते हैं, तब किडनैपर ने विरोध किया, लेकिन अंत में यह मान गया। फिर पुलिस ने 3 लाख के नोटों को सादे कागज के बंडलों में मिलाकर 10 लाख बनाए। बैग में पैसे लेकर मामा और एक जवान रिंग रोड पहुंचे। तब तक पुलिस ने आसपास घेरा डाल दिया था। लेकिन रिंगरोड पहुंचने के बाद किडनैपर ने दोनों को टाटीबंध की ओर आने के लिए कहा। दोनों बढ़े तो उसका फिर काॅल आया कि गाड़ी मारुति शोरूम के पास रोककर सड़क पैदल क्रास करके दूसरी तरफ आएं। दोनों ने वैसा ही किया। तब आरोपी अमीन को भराेसा हो गया कि दोनों अकेले हैं और बैग में पैसे हैं। वहां पहुंचते ही आरोपी बाइक से दोनों के पास आया और बैग मांगा। इसे खोलकर उसने पैसे देखे और जैसे ही बढ़ने लगा, पुलिस ने घेर लिया।
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