
विलुप्त हो रही बोध मछली के संरक्षण के लिए वन विभाग सुस्त है लेकिन स्थानीय लोगों के साथ वैज्ञानिकों की टीम इसके लिए सामने आई है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों को सूचना मिली थी कि इंद्रावती नदी के मुचनार घाट पर बोध मछली का शिकार हुआ है। इसे कुछ ग्रामीण बेचने ले जा रहे हैं तो वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ नारायण साहू के साथ वैज्ञानिकों की टीम मुचनार रवाना हुई। यहां ग्रामीणों के पास से 3 बोध मछलियों को पकड़ा। टीम इसे गीदम लेकर आई और कृषि विज्ञान केंद्र के अंदर बने तालाब में इन्हें रखा गया। अब इस तालाब में इस विशेष प्रजाति की मछली का संरक्षण होगा। ग्रामीणों को बोध मछली संरक्षण के लिए भी वैज्ञानिक जागरूक करेंगे।
केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ नारायण साहू ने कहा कि बोध मछली और मगरमच्छों का संरक्षण बेहद जरूरी है। ये विलुप्त होते जा रहे हैं। इस विशेष प्रजाति की मछली के नाम पर ही इलाके का नाम बोधघाट पड़ा और एक बड़ा प्रोजेक्ट भी इसी के नाम पर है। यह मछली विलुप्त होती जा रही है। हम सभी का कर्तव्य है कि इसे विलुप्त होने से बचाएं। ऐसे में हमने स्थानीय लोगों से चर्चा की। समिति बनाई गई। केवीके के तालाब में लाकर रखने का उद्देश्य यह है कि इस विशेष प्रजाति की मछली का संरक्षण इंद्रावती नदी के अलावा अन्य जगहों में भी हों। इसे ग्रामीणों को दिखाकर हम जागरूक करेंगे।
मगरमच्छ और बोध मछली संरक्षण का प्रस्ताव अटका
इंद्रावती नदी में पाई जाने वाली बोध मछली व मगरमच्छों के संरक्षण के लिए वन विभाग ने इसी साल प्रस्ताव भी बनाकर भेजा। लेकिन वन विभाग के प्रस्ताव पर अभी तक मुहर नहीं लगी है। वन विभाग ने प्रस्ताव में यह बताया है कि मगरमच्छों का विशेष आहार बोध मछली है। ये भी तेजी से विलुप्त हो रही है। दोनों के संरक्षण की ज़रूरत है।
3 महीने पहले बनी टीम, वैज्ञानिक दे रहे मार्गदर्शन
इंद्रावती नदी में पाई जाने वाली बोध मछली, मगरमच्छों के संरक्षण के लिए 3 महीने पहले जलीय जीव संरक्षण समिति बनाई गई थी। केवीके के वैज्ञानिक भी समिति के सदस्यों को समय-समय और सलाह और मार्गदर्शन देते हैं। समिति के अध्यक्ष बारसूर के जसबीर नेगी हैं। इंद्रावती नदी के किनारे बसे गांवों के ग्रामीणों को भी इससे जोड़ा गया है। ताकि मगरमच्छ व बोध मछली का शिकार होने पर सूचना दें व ग्रामीणों को जागरूक करें।
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