
प्रशासनिक कांप्लेक्स में बिजली की फिजूलखर्ची अब अधिकारियों और कर्मचारियों को महंगी पड़ेगी। डिप्टी कमिश्नर कार्यालय, सीपी ऑफिस, आरटीए कार्यालय सहित प्रशासनिक कांप्लेक्स परिसर में स्थित करीब 11 डिपार्टमेंट इतनी अधिक बिजली खर्च कर रहे हैं कि 65 लाख से अधिक का बिल बकाया हो गया है और अब विभागीय अधिकारी चुकता नहीं कर पा रहे हैं।
इसपर सरकार ने अब सरकारी कार्यालयों में बिजली की बर्बादी को रोकने के लिए अलग-अलग डिपार्टमेंट में सब-मीटर लगवाने के साथ ही वर्चुअल तरीके से निर्धारित डेट पर बिल जमा करवाने के आदेश दिए हैं। इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा 18 नंबर का एक वर्चुअल अकाउंट नंबर (वैन) जनरेट किया जाएगा।
सरकार ने साफ कहा है कि यदि निर्धारित तिथि पर बिजली के बिल का भुगतान नहीं किया गया, तो जुर्माने की राशि संबंधित विभाग के अधिकारी को भुगतनी होगी।
अलग-अलग लगवाने होंगे सब-मीटर
सरकार ने पहली बार इलेक्ट्रिक डिपार्टमेंट के घाटे को कम करने के लिए कड़ा कदम उठाया है। सरकार द्वारा जारी आदेश 1 दिसंबर से सभी कार्यालयों में प्रभावी माना जाएगा। अभी डीसी कांप्लेक्स के सभी विभागों में बिजली की सप्लाई के लिए केवल एक मीटर लगा है।
इसी मीटर से डीसी ऑफिस, सीपी ऑफिस, एसएससी ऑफिस, आरटीए ऑफिस, जिला रोजगार ब्यूरो, लेबर डिपार्टमेंट, कंज्यूमर कोर्ट, खजाना दफ्तर, एडीसी डेवलपमेंट कार्यालय सहित 11 डिपार्टमेंटों को बिजली की सप्लाई हो रही है। इन सभी विभागों से बिजली के बिल का भुगतान नाजिर शाखा के द्वारा किया जाता है। इस बाबत नाजिर अशोक कुमार ने बताया कि डीसी कांप्लेक्स के सभी डिपार्टमेंट में पहले से ही यूनिट के अनुसार बिल का बंटवारा हुआ है। नाजिर का कहना है कि बिल का पेमेंट मिलने के बाद जमा करवा दिया जाता है।
दिन में भी ऑन रहती हैं ट्यूबलाइटें
डीसी कांप्लेक्स के विभिन्न कार्यालयों में बिजली की फिजूलखर्ची हर जगह देखी जा सकती है। प्रशासनिक देखरेख के अभाव में दिन में भी इलेक्ट्रिक ट्यूबलाइट और सर्दी के समय पंखे चलते हैं। अधिकारियों या फिर कर्मचारियों की कोई जवाबदेही तय नहीं थी, इसलिए वो इसपर ध्यान नहीं देते रहे हैं। सरकार की नई पहल से बिजली की फिजूलखर्ची रुकेगी।
सभी सरकारी विभागों में नियम लागू
डीसी कांप्लेक्स के अलावा नगर निगम, पुडा कार्यालय, जेडीए सहित जो अन्य सरकारी विभाग हैं, उन्हें भी इसी तर्ज पर वर्चुअल अकाउंट नंबर जनरेट करना होगा। इसके बाद सभी विभाग के अधिकारी वर्चुअल तरीके से ऑनलाइन बिल की पेमेंट कर सकेंगे। समय से बिल जमा नहीं होने पर संबंधित अधिकारियों को जुर्माना भरना पड़ेगा।
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