
अपने मनोरम घुमावदार मोड़ों के लिए प्रसिद्ध वनाच्छादित केशकाल घाट के दोनों किनारों को और भी मनोहारी बनाने के लिए उत्तर वनमंडल केशकाल द्वारा विभिन्न शासकीय मदों के माध्यम से युद्ध स्तर पर काम किया जा रहा है। इसके तहत केशकाल के सभी घुमावदार मोड़ के दोनों ओर के किनारों पर विभिन्न प्रजातियों के फूलदार पौधों का रोपण किया जाएगा ताकि फूलों की घाटी के रूप में इसकी प्रसिद्धि वर्षभर आगंतुकों को लुभाती रहे। और तो और इन सभी मोड़ का नामकरण संबंधित फूलदार पौधों के आधार पर भी होगा।
इसी क्रम में शनिवार को कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा द्वारा केशकाल वनमंडल में किए जा रहे इस रोपण का निरीक्षण कर जानकारी ली गई और इसे शीघ्र क्रियान्वयन करने के निर्देश दिए गए। इस अवसर पर वनमंडलाधिकारी केशकाल धम्मशील गणवीर, जिला पंचायत सीईओ डीएन कश्यप, एसडीएम केशकाल डीडी मंडावी, अनुविभागीय अधिकारी वन मोना महेश्वरी, सीईओ जनपद पंचायत बीएन नाग सहित अन्य विभागीय कर्मचारी मौजूद थे।
टाटामारी पर्यटन केन्द्र का भी कलेक्टर ने लिया जायजा: कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा ने प्रसिद्ध टाटामारी पर्यावरण चेतना केन्द्र का भी अवलोकन किया। टाटामारी क्षेत्र में 150 एकड़ क्षेत्र में ग्राॅसलैंड विकसित किया जा रहा है। इसके अलावा यहां वाॅच टावर, काॅटेज, शयन शाला का भी निर्माण किया गया है। विभाग द्वारा इस संबंध में जानकारी दी गई कि टाटामारी के संपूर्ण घासयुक्त पठारी क्षेत्र को पत्थर की दीवारों से फैंसिंग करने की भी योजना है ताकि पर्यटक यहां कभी कभार दिखने वाले वन्य प्राणियों को प्राकृतिक वातावरण में देख सकें।
कलेक्टर यहां के अन्य पर्यटन स्थल कुएंमारी भी पहुंचे। जहां वनविभाग द्वारा इस पठारी क्षेत्र के गिरगोली ग्राम में 44 ग्रामीण परिवारों को काजू प्लांटेशन के तहत पौधे वितरित किए गए थे। इस दौरान कलेक्टर गिरगोली ग्राम के ग्रामीणों से रूबरू भी हुए और उन्हें वन संरक्षण के लिए विभाग से समन्वय करने का आग्रह किया। ग्रामीणों ने मौके पर कलेक्टर से ग्राम ढोलकुड़म से गिरगोली 4 किमी और ग्राम गिरगोली से बावनमारी 2 किमी सीसी रोड निर्माण की मांग भी की जिसे कलेक्टर ने तत्काल स्वीकृत किया।
घाटी की तलहटी में हैं औषधियुक्त पौधे
यूं तो केशकाल घाटी की तलहटियों में शाल, सागौन, साजा, आंवला जैसी वनसंपदा के अलावा औषधियुक्त पौधे भी प्रचूर मात्रा में उपलब्ध हैं जो कमोवेश लोगों की निगाहों से दूर हैं। अतः वनविभाग द्वारा घाट की वनसंपदाओं के सरंक्षण-संवर्धन के लिए इसकी वनीय तलहटी के 250 हेक्टेयर भूमि में 50 हजार शतावर और 1 लाख गिलोए के पौधे भी रोपित किए गए हैं और यह सभी पौधे यहां की प्राकृतिक वन वातावरण में पनपने के लिए अनुकूल है।
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