
नक्सल इलाके में तैनात बीएसएफ की चौथी बटालियन के जवान ने कोयलीबेड़ा कैंप के किचन में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। जवान एक माह पूर्व ही घर से छुट्टी से लौटा था। जिले में पिछले दस महीने में यह तीसरी घटना है जिसमें जवान ने खुदकुशी की है। जवान के शव का अंतागढ़ में पोस्ट मार्टम के लिए लाया गया। जहां उसे उसके निवास वायनाड केरल भेजा जाएगा।
बीएसएफ की चौथी बटालियन का जवान स्वराज पीएन 38 वर्ष पिता पीएस नारायनन निवासी पाडीचेरा पोस्ट शशीमाला जिला वायनाड केरल की लाश बुधवार सुबह कैंप के बंद पड़े पुराने किचन से बरामद की गई। सुबह 6.15 मिनट पर साथी जवानों ने जवान की लाश फंदे में लटकी देखी। जिसके बाद कैंप में हड़कंप मच गया। सुबह इसकी सुचना कोयलीबेड़ा पुलिस को दी गई। जो मौके पर पहुंच लाश को पोस्ट मार्टम के लिए अंतागढ़ अस्पताल रवाना की। जवान बीतीरात 11 बजे तक अपने बैरक में था। जहां वह अपने बिस्तर में साथी जवानों के साथ ही सोया था। रात में जवान सामान्य था। इसके बाद क्या हुआ यह किसी को पता नहीं है।
फोन जब्त, खुदकुशी की मिल सकती है वजह
कोयलीबेड़ा पुलिस सभी एंगल से जवान के खुदकुशी की जांच कर रही है। हालांकि खुदकुशी का कारण अबतक सामने नहीं आया है। पुलिस फोन को जब्त की है लेकिन उसकी जांच शुरू नहीं की गई है। इसमें यह जांच की जाएगी कि जवान अंतिम बार व किस समय किससे बात किया। इसके अलावा फोन में मैसेज व अन्य चीजों की भी जांच की जाएगी। ताकि खुदकुशी के कारण की जानकारी हो सके।
मानसिक स्थिति ठीक नहीं तो डयूटी कैसे?
अधिकारियों ने बताया है कि जवान की पिछले डेढ़ साल से मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। जिसका इलाज भी कैंप में ही चल रहा था। उसकी दवाइयां दी जा रही है। लेकिन बीएसएफ के इस जवाब से कई सवाल उठ रहे हैं कि यदि जवान की मानसिक स्थिति या तबियत ठीक नहीं थी तो वह इतने दिनों से कैसे ड्यूटी कर रहा था। यदि वह सामान्य नहीं था तो उसे कैंप में क्यों तैनात किया गया था?
सात साल से कांकेर जिले में था तैनात : जवान स्वराज पीएम की बीएसएफ में 2004 में भर्ती हुई थी। जिसकी पहली पोस्टिंग उसकी जम्मू में हुई थी। इसके बाद वह उत्तर बंगाल, काश्मिर, जम्मू में 2014 तक तैनात रहा। अक्टूबर 2014 से वह कांकेर जिले के पखांजूर व कोयलीबेड़ा के नक्सल संवेदनशील इलाके में तैनात रहा।
6 साल में पुलिस व बीएसएफ के इतने जवानों ने की खुदकुशी
25 जून 2014- दुर्गूकोंदल थाना में संतरी ड्यूटी में मोर्चे में तैनात आरक्षक प्रभुराम जाड़े अपनी इंसास रायफल से स्वयं को गोली मारा।
31 जुलाई 2016- कोयलीबेड़ा बीएसएफ 140 बटालियन का जवान एस शक्ति वेल ने अंतागढ़ के अस्पताल के शौचालय में फांसी लगा खुदकुशी की।
9 जनवरी 2017- परतापुर बीएसएफ कैंप में जवान टीआर जयसिंह ने सिर में गोली मार की खुदकुशी।
21 जुलाई 2017-अंतागढ़ के बर्रेबेड़ा हवेचुर एसएसबी कैंप में जवान चंद्रभान कुमार ने सर्विस रायफल से गोली मार की खुदकुशी।
5 नवंबर 2017- बांदे में बीएसएफ के 114 वीं बटालियन का जवान प्रशांत प्रसाद दिनकर रात में मोर्चा से उतर बैरक जाने के दौरान खुद को मारी गोली।
19 मार्च 2019- कांकेर थाना में पदस्थ आरक्षक गुरूमुख सिंह ठाकुर ने घर फांसी में लगाई फंासी।
4 अगस्त 2019- भानुप्रतापपुर में बर्खास्त आरक्षक ने पत्नी की हत्या कर फंासी लगा की खुदकुशी।
3 फरवरी 2020- ग्राम पंचायत चुनाव के दौरान गोंड़बिनापाल एसएसबी कैंप का जवान जयलाल नेताम ने नवगांव में ड्यूटी के दौरान स्वयं को गोली मारी।
6 जून 2020- पखांजूर के संगम कैंप के निकट बीएसएफ के जवान सुरेश कुमार गोली मार खुदकुशी की। 8 दिसंबर 2020- कोयलीबेड़ा बीएसएफ कैंप के किचन में जवान स्वराज पीएन ने लगाई फांसी।
जवानों की खुदकुशी का सिलसिला जारी, रहस्य भी बरकरार
जिले में नक्सली मोर्चों में तैनात जवानों के खुदकुशी करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले 6 सालों में 10 जावानों ने खुदकुशी की है। जिसमें 6 जवानों ने अपनी ही सर्विस रायफल से स्वयं को गोली मारी है। इसके अलावा चार ने फांसी लगा ली। लेकिन इनकी खुदकुशी के कारणों का अबतक स्पष्ट खुलासा नहीं हो पाया है। पुलिस मर्ग कायम कर मामले की जांच शुरू करती है। प्राथमिक जांच में पारिवारिक कारणों से तनाव या फिर किसी बिमारी के चलते खुदकुशी करने की आशंका जताई जाती है।
मुख्यमंत्री के फरमान के बाद पुलिस ने जून में शुरू हुआ स्पंदन अभियान
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के फरमान के बाद पुलिस ने जवानों को तनाव व इस तरह की घटना से बचाने जून माह में स्पंदन अभियान शुरू किया है। जून में ही इसे पूरे प्रदेश में लागू किया गया जिसके तहत अधिकारी जवानों से मुलाकात कर उनकी समस्या को समझ उसे दूर करने कोशिश करते हैं। ताकि एसी घटना न हो। लेकिन इसके बावजूद बस्तर संभाग में जवानों के खुदकुशी थम नहीं रही है। बस्तर संभाग में पिछले दस दिन में कोयलीबेड़ा की घटना समेत कुल चार जवानों ने खुदकुशी है।
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