
बेसहारों का आशियाना रैन बसेरा बंद होने के कारण गरीब-जरूरतमंद लोगों को 4 डिग्री तापमान के बीच खुले में सोने को मजबूर होना पड़ रहा है। इन लोगों पर न तो प्रशासन और न ही कोई समाजसेवी संस्था ध्यान दे रही है। जिसके कारण बेसहारा लोगों को सर्दी की रात में खुले आसमान में रोड़ किनारे सोना पड़ रहा है।
दैनिक भास्कर की टीम ने वीरवार अलसुबह करीब 4 बजे शहर का दौरा किया तो रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और हनुमानगढ़ रोड ओवरब्रिज के नीचे बेसहारा लोग सोये हुए पाए। कोई आशियाना न होने के कारण सुबह करीब 4 डिग्री तापमान में बुजुर्ग व बच्चे ठिठुर रहे थे, वहीं कुछ लोगों द्वारा तो ठंड से बचने के लिए आग का सहारा लिया हुआ था। जब उनसे बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनमें से कुछ प्रवासी मजदूर है और कुछ लोगों का घर-बार न होने के कारण उन्हें मजबूरन रोड़ पर सोना पड़ता है। लेकिन न तो प्रशासन उनके लिए कोई प्रयास कर रहा है और न ही किसी समाजसेवी संस्था आगे आकर उनके रहने का प्रबंध कर रही है। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि जल्द से जल्द उनके रहने के लिए कोई रैन बसेरा खोला जाए या फिर कोई धर्मशाला का प्रबंध किया जाए, जिसमें रह सके।
श्री बजरंग सहारा सेवा समिति के प्रधान पवन वढेरा ने कहा कि रेलवे रोड पर बने रैन बसेरे में 10-12 लोगों के रहने का प्रबंध है लेकिन कोरोना के चलते रैन बसेरा को बंद कर दिया गया था। इसलिए अभी डर के चलते रैन बसेरे को नहीं खोला जा रहा। क्या पता बाहर से रहने वाले व्यक्ति को कोरोना न हो। इसलिए उम्मीद है जल्द ही रैन बसेरे को खोलेंगे।
रिक्शा वाले का मकान गिरा, मुआवजा न मिलने से ठंड में ठिठुरने को मजबूर
ईदगाह बस्ती निवासी बुजुर्ग जीत सिंह ने बताया कि वह रिक्शा चलाकर अपना गुजारा करता है। उसके एक मात्र कमरे की छत भी बारिश के कारण गिर गई थी, लेकिन प्रशासन के पास फाइल भरने के बाद भी उसे कोई मुआवजा नहीं मिला, जिसके कारण वे हाड़ कंपकंपाने वाली सर्दी में पूरा दिन रिक्शा पर गुजारते हैं और रात को खतरे में आधी छत वाले मकान में सोते हैं। उन्होंने प्रशासन व समाजसेवी संस्थाओं से सहयोग की मांग की है।
बेसहारा लोगों के रहने के लिए जल्द ही खुलवाएंगे रैन बसेरा : एसडीएम
एसडीएम जसपाल सिंह बराड़ ने कहा कि रैन बसेरा बंद होने के बारे में उन्हें सूचना मिली है। जिसे शुक्रवार को खुलवा दिया जाएगा। इसके अलावा शहर में घूमने वाले बेसहारा पशुओं के लिए भी गोशाला में प्रबंध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बेसहारा लोगों की संख्या ज्यादा होने के कारण उनके रहने के लिए गांवों व शहरों में अन्य प्रबंध किए जाएंगे।
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