
ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में विंटेज और फैंसी नंबरों के अलॉटमेंट में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। 12 ऐसे नंबर मिले हैं, जिनमें आरटीए के कर्मचारियों के साथ एजेंटों ने मिलकर फर्जीवाड़ा किया। एजेंटों ने विंटेज या फिर फैंसी नंबरों के वाहनों काे कंडम शो कर उनके नंबर दूसरे वाहनों को अलॉट किए। एक नंबर के बदले में एजेंटों द्वारा गाड़ियों के मालिकों से 4.50 लाख रुपए तक वसूले गए। फर्जीवाड़े की जानकारी वाहन मालिकों काे तब मिलती है, जब एक नंबर की डुप्लीकेट आरसी या फिर 2 वाहन सड़कों को दौड़ते हुए मिलते हैं। एक नंबर के दो वाहनों की शिकायत मिलने पर ट्रांसपाेर्ट डिपार्टमेंट द्वारा जांच बैठाई गई। विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा 15 दिसंबर तक मामले में निर्णय होने की बात कही जा रही है। सूत्रों के अनुसार सैकड़ों गाड़ियां फर्जी नंबर लगा सरेआम दौड़ रही हैं।
चालान के भुगतान या डुप्लीकेट आरसी बनवाते वक्त पता चलता है नंबर का फर्जीवाड़ा
ऐसे हुआ खुलासा
विंटेज, फैंसी नंबर वाहनों की आरसी गुम होने या चालान होने के बाद जब मालिक डुप्लीकेट आरसी के लिए अप्लाई करने आरटीए कार्यालय पहुंचते हैं तो पता चलता है कि इस नंबर की गाड़ी किसी और को अलॉट है। शिकायत किए जाने पर आरटीए कार्यालय का रिकाॅर्ड खंगाला जाता है। जिला स्तर पर आरटीए अधिकारियों द्वारा पहले तो मामले को आपसी सहमति से सुलझाने की कोशिश होती है पर जब कोई हल नहीं निकलता तो रिपोर्ट स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को भेजी जाती है। इस बाबत सेक्रेटरी एसटीसी एपी सिंह का कहना है कि जिन नंबरों में फर्जीवाड़े की शिकायत मिली है, उनकी जांच की जा रही है। जांच पूरी होने पर कार्रवाई होगी।
पुराने वाहनों की आरसी नहीं बनेगी, एक कंडम होगा...
खास बात यह है कि ट्रांसपोर्ट विभाग के नियमानुसार जिस वाहन ने पहले नंबर लिया था, उसी को जारी किया जाना चाहिए। यदि पहले वाहन का मालिक नंबर सरेंडर कर देता है तो दूसरे वाहन का नंबर बचा रहेगा। यहीं नहीं ये वाहन बीएस4 इंजन के हैं, ऐसे में अब पुराने वाहनों की आरसी भी नहीं बन पाएगी। इससे एक वाहन तो कंडम हो जाएगा।
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