एनिमिया मुक्त भारत अभियान के तहत जिले में 7 ग्राम से कम हिमोग्लोबिन वाले 176 महिलाओं को ब्लड चढ़ाया गया और दवाएं दी गईं।
सुकमा जिले में 18 से 30 नवंबर तक 15 से 49 आयु वर्ग की 48617 महिलाओं के हीमोग्लोबिन की जांच की गई। सघन रूप से हुए इस जांच अभियान में सुकमा विकासखंड के 16272, कोंटा के 19798, व छिंदगढ़ के 26613 कुल 62683 महिलाओं का लक्ष्य रखा गया था, जिनमें 15 से 18 वर्ष की किशोरी बालिकाएं, गर्भवती महिलाएं व 19 से 49 वर्ष की अन्य महिलाएं शामिल की गई थी। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कुल 176 महिलाओं का हीमोग्लोबिन 7 ग्राम से कम था, जबकि 7 से 9.9 ग्राम के अंतर्गत 9441 महिलाएं, 10 से 10.09 ग्राम के अंतर्गत 12379 महिलाएं व 11 ग्राम से अधिक हीमोग्लोबिन वाली महिलाओं की संख्या 26621 थी।
कोंटा के बीएमओ डॉ. कपिल कश्यप ने बताया कि जिन महिलाओं का हीमोग्लोबिन स्तर 7 से 9 के बीच था उन्हें अस्पताल में भर्ती कर आयरन सुक्रोज का इंजेक्शन दिया गया।
साथ ही उन्हें आयरन युक्त सब्जी एवं विटामिन लेने की सलाह दी गई। इसके अलावा जिन महिलाओं का हीमोग्लोबिन 7 से कम था उन्हें जिला अस्पताल ले जाकर खून चढ़ाया गया व वापस उन महिलाओं को
घर तक छोड़ा गया।
पोषक तत्वों की कमी से कम हो जाता है ब्लड
बीएमओ डॉ. कपिल कश्यप ने बताया मुख्य रूप से पोषक तत्वों की कमी के कारण हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। इसका सीधा असर शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित होती है। शरीर में खून की मात्रा सामान्य होने पर ही शरीर स्वस्थ होता है और शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होने की स्थिति में एनीमिया लक्षण सामने आने लगते हैं।
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