
पत्थरों के बीच से रिसकर आ रहे खेतों के गंदे पानी को निकालती हुई महिला की ये तस्वीर दंतेवाड़ा ब्लॉक के झिरका गांव के ओयामपारा की है। यहां के करीब 15-20 परिवार सालभर इसी गंदे पानी को छानकर पीने और अन्य काम के लिए भी उपयोग करते हैं। भास्कर की टीम ने गांव पहुंचकर समस्या देखी फिर कलेक्टर को जानकारी दी। इसके बाद कलेक्टर दीपक सोनी ने झिरका गांव में शुक्रवार को दो बोर कराया।
भास्कर टीम गुरुवार को धुर नक्सल प्रभावित इस गांव में जब पहुंची तो गांव की महिला सुशीला, भीमे सहित अन्य महिलाएं पानी निकाल रही थीं तो कोई इसी जगह पर कपड़े धो रही थीं। इन सबने बताया कि सालभर पहले गांव में हैंडपंप जरूर खोदा गया, अब यह हैंडपंप खराब पड़ा है। यहां पेयजल की समस्या है। बारहों माह यहां पानी रिसकर आता है, जिसका इस्तेमाल करना मजबूरी है। भास्कर ने ग्रामीणों की इस समस्या की जानकारी कलेक्टर दीपक सोनी को दी। कलेक्टर ने तुरंत पीएचई के अफसरों को निर्देशित कर शुक्रवार को ही 2 बोर करा दिए। कलेक्टर ने कहा कि ग्रामीणों को पेयजल के लिए परेशान नहीं होने दिया जाएगा।
गांव में बाेर हाेने से ग्रामीणाें में खुशी
भास्कर की सूचना के बाद कलेक्टर दीपक सोनी ने झिरका गांव में बोर गाड़ी भेजी, यहां शुक्रवार को दो बोर कराए गए। कलेक्टर दीपक सोनी ने भास्कर को तस्वीरें शेयर कर जानकारी दी। कलेक्टर ने बताया कि यहां दो बोर कराए गए हैं, ताकि ग्रामीणों को पेयजल के लिए समस्या न हो। बोर होने के बाद ग्रामीण भी बेहद खुश हैं। इसके लिए कलेक्टर व भास्कर को धन्यवाद दिया।
ग्रामीणों ने कहा- हर घर नल से पहुंचाएं पानी
अभी धुरली से झिरका की ओर सड़क बन रही है। इसकी सालों से मांग थी, लेकिन नक्सल इलाका होने के कारण काम नहीं हो रहा था। अब सड़क बन रही तो ग्रामीण खुश हैं। महिलाओं ने कहा कि नक्सली इलाका होने के कारण यहां कोई नहीं पहुंचता। सड़क बन रही बहुत अच्छा लग रहा, लेकिन पीने के पानी के लिए गांव में हर घर नल हो। गांव में जिला प्रशासन द्वारा दो बोर कराने से ग्रामीण बहुत खुश हैं। अब इन लोगों की पेयजल की दिक्कत नहीं होगी।
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