इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भले ही आयुर्वेदिक डॉक्टरों की सर्जरी पर ऐतराज उठाया था, लेकिन कोरोना काल में इस विधा के डॉक्टर सैंपलिंग कर रहे हैं। वैसे तो यह जरूरी भी है, लेकिन इसके चलते उनके अपने अस्पताल और डिस्पेंसरी खाली पड़े हैं, जिसके चलते वहां के मरीजों को सेहत सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं।
अमृतसर जिले की बात करें तो यहां पर वेरका में 10 बेडों वाला एक आयुर्वेदिक अस्पताल है। इसके अलावा जिलेभर में 23 डिस्पेंसरी, एक हेल्थ सेंटर और एक आईएस विंग काम कर रहे हैं।
अमूमन हरेक जगह पर एक आयुर्वेदिक मेडिकल अफसर लाजिमी है। इसमें से चार डिस्पेंसरियों में पहले से एएमओ ही नहीं हैं, जबकि 20 के एएमओ कोरोना सैंपलिंग में लगे हैं। विभाग के मुताबिक इन अस्पतालों में महीने के औसतन 12,000 मरीज सेवाएं लेते हैं, लेकिन अब यह घटकर 3,000 रह गई है। इसके चलते महीने में विभाग को पर्ची फीस के रूप में 24,000 रुपए आते थे वह अब 6,000 रह गई है।
वेरका अस्पताल
जिले के इकलौते आयुर्वेदिक अस्पताल वेरका में 1 एमएओ है, लेकिन उसकी ड्यूटी कोरोना सैंपलिंग में लगी है। ले-देकर सिर्फ एक दाई बची है। यहां पर रोजाना 50 मरीज आते रहे लेकिने अब डॉक्टर न होने से नहीं आते।
सिविल अस्पताल
आयुर्वेद विभाग का जलियांवाला बाग मैमोरियल सिविल अस्पताल में एक आईएस विंग है, जहां का इकलौता एएमओ सैंपलिंग में लगा हुआ है। यहीं पर विभाग का एक हेल्थ सेंटर भी जिसमें एक एएमओ है और वह मौजूद है।
यहां एएमओ नहीं : वल्ला, जीएनडीयू, उग्र औलख, चमियारी, माछी नंगल, छेहर्टा, गग्गोमाहल, बल कलां, सांघना, अकालगढ़, फेरूमान, जेठूवाल, बडाला कलां, जलाल उसमां, छापा राम सिंह, धूकलां की डिस्पेंसरियों में एएमओ नहीं हैं।
यहां पद खाली : जिले की भलाईपुर पुर्बां, गगड़भाड़ा, कक्कड और बहड़वाल में पहले से डॉक्टरों के पद खाली हैं।
यहां एएमओ मौजूद : जिले की टाहली साहिब तथा मखन विंडी में एएमओ मौजूद हैं।
सरकार के दिशानिर्देश पर डॉक्टरों की कोरोना सैंपलिंग में ड्यूटी लगाई है। आपात काल के नाते यह मजबूरी है। स्थिति ठीक होने के बाद ड्यूटी पर लौटेंगे।
-डॉ. रणबीर सिंह कंग, जिला आयुर्वेद अफसर।
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