शिवचरण सिन्हा| जिले के अतिसंवेदनशील कोड़ेकुर्से क्षेत्र में कोटरी नदी पर पुल नहीं होने से नदी उस पार के 40 गांव हर साल बारिश में टापू बन जाते थे। ऐसा नहीं है की पुल बनाने प्रयास नहीं हुए लेकिन कभी नक्सल गतिरोध तो कभी राजनैतिक विवाद के चलते पुल निर्माण कार्य अटक जाता था। पुल बनाने की मांग को लेकर कई आंदोलन भी हुए। अंतत: 2019 में इस पुल का निर्माण स्वीकृत हुआ था तथा 2020 में पुल निर्माण कार्य तेज गति से चला जिसके चलते 90 प्रतिशत कार्य पुरा हो चुका है। शेष कार्य मार्च 2021 तक पुरा हो जाएगा जिससे इसी नए साल की बारिश में नदी उस पार के 40 गांव के लोग बाकी दुनिया से नहीं कटेंगे।
कोड़ेकुर्से में पुल निर्माण के लिए सबसे पहले अविभाजित मध्यप्रदेश में भाजपा नेता नंदकुमार साय ने भूमिपूजन किया था। तब कांग्रेसियों ने भूमिपूजन करने पहुंचे भाजपा नेता को काले झंडे दिखाए थे जिसके बाद उपजे विवाद में पुल निर्माण कार्य ठंडे बस्ते में चला गया था। इसके बाद पृथक छत्तीसगढ़ बनते ही वर्ष 2000 में मुख्यमंत्री अजीत जोगी भुरके तथा कोटरी नदी पर पुल निर्माण के लिए कोड़ेकुर्से प्रवास के दौरान भूमिपूजन किया था। जैसे तैसे भुरके नदी पर तो पुल बन गया लेकिन कोटरी नदी पर नक्सल गतिरोध के चलते पुल नहीं बन पाया। इसके बाद तो कोड़ेकुर्से नक्सल गढ़ बन गया था। कोटरी नदी पर सिंचाई परियोजना के तहत एनीकट निर्माण हुआ जिसके बाद इसी एनीकट के ऊपर से बारिश के दिनों में खतरनाक ढंग से पैदल तथा दोपहिया वाहनों का आवागमन होने लगा। क्षेत्र में बीएसएफ की तैनाती के बाद सुरक्षा बढ़ी तो नक्सल प्रभाव कमजोर पडऩे लगा। वर्ष 2019 में कोटरी नदी पर पुल निर्माण के लिए 7.06 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए तथा काम का ठेका स्थानीय जयश्री कंस्ट्रक्शन को मिला। 2020 में काम युद्घ स्तर पर चला तथा वर्तमान में 90 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। 2021 कोड़ेकुर्से क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होगा जब यहां आजादी के बाद से चली आ रही कोटरी नदी पर पुल निर्माण की मांग पुरी हो जाएगी।
ये हुए पुल बनाने आंदोलन: विधायक मनोज मंडावी ने कोटरी नदी पर पुल की मांग को लेकर जल सत्याग्रह किया गया था। क्षेत्र की जनता, जनप्रतिनिधियों, सरपंच, पटेल, गायता ने मिलकर धरना प्रदर्शन व उग्र आंदोलन किया था। आम आदमी पार्टी ने पुल निर्माण की मांग को लेकर कोटरी नदी से पदयात्रा निकाली थी।
आने-जाने का कोई रास्ता नहीं, नाव का ही था सहारा
बरसात में कोटरी नदी अपने पूर्ण आवेग से बहती तब नदी उस पार के 40 गांव टापू बन जाते थे क्योंकि उन गांव के लोगों को आने जाने अन्य कोई रास्ता नहीं था। सबसे ज्यादा परेशानी किसी के बीमार पडऩे पर इलाज कराने ले जाने को होती थी। आपात स्थिति में खतरे के बीच नाव से मरीज को नदी पार कराना पड़ता था।
मार्च 2021 में पूरा हो जाएगा पुल का काम
कोटरी नदी पर पुल निर्माण करा रहे जयश्री कंस्ट्रक्शन के संचालक धर्मेंद्र चोपड़ा ने कहा 31 मार्च 2021 तक पुल निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। इसके बनने से 8 पंचायतों के 40 गांव के लोगों को फायदा होगा।
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