
बलरामपुर जिले के सनावल पुलिस की लापरवाह रवैये की वजह से दो साल के भीतर एक बुजुर्ग के ऊपर उसकी बहू पर जादू टोना करने का आरोप लगाकर तीसरी बार पांच लोगों ने जानलेवा हमला किया है। इस बार पुलिस ने हत्या का प्रयास का मामला दर्ज किया है।
पीड़ित के बेटे का कहना है कि पुलिस, पहले ही जब हमले में मेरे पिता का हाथ टूटा था और सिर में टांके लगे थे तब हत्या का प्रयास का केस दर्ज किया होता तो तीसरी बार इस तरह हमला नहीं हुआ होता। अब रिपोर्ट पर पुलिस ने पांच लोगों पर हत्या का प्रयास सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस ने बताया कि ग्राम तालकेश्वरपुर निवासी श्याम सुंदर उइके ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि एक दिसम्बर की रात में खाना खाकर सो रहा था। उसके पिता धनाराम घर के बाहर प्लास्टिक ढककर घर दीवार से सटा बनाया हुआ झाला परछी में सोया था। रात करीब 1.30 बजे गांव के ही राजाराम, सीताराम, संतलाल, मोहरलाल, रामनारायण गोंड़ घर के पास आकर गाली देकर दरवाजे को धक्का मार रहे थे। इस पर जब कमरे से बाहर नहीं निकला तो उसके पिता धनाराम गोंड़ जो बाहर सोया था उसे सभी लोग मिलकर डाइन टोन्हा बोलकर लाठी डंडा व टांगी से मारपीट की। बाइक को भी क्षतिग्रस्त कर दिया। मारपीट से धना राम के सिर में 25 टांके आए हैं। आरोपी उसे मरा समझकर छोड़ गए थे। उसे गम्भीर हालात में अस्पताल ले जाया गया है। जहां इलाज चल रहा है।
आरोपियों के आतंक से घर में आधा घंटा दुबका रहा बेटा
घटना के समय धनाराम घर के बाहर सोया था वही उसका बेटा राम सुंदर घर के अंदर सो रहा था। मारपीट पर पिता के चिल्लाने की आवाज से वह सहम गया। आधे घंटे तक अपने घर के कमरे में ही दुबका रहा। सभी आरोपियों के जाने के बाद ही कमरे से बाहर निकलने की हिम्मत जुटा सका।
दो साल से परिवार का बहिष्कार: पीड़ित परिवार व कांग्रेस के ब्लाक महासचिव नंदलाल सिंह ने बताया कि दो साल पहले गांव में कुछ बैगाओं ने बताया दिया कि उनके परिवार की बहू डायन है। इसके बाद गांव के लोग डर गए और अब अघोषित रूप से उनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया है। बहू पर भी पहले हमला हो चुका।
पुलिस ने पहले शिकायत को नहीं लिया गंभीरता से
रामसुंदर ने कहा कि उसके पिता धनाराम से कुछ माह पहले भी मारपीट हुई थी तब आरोपियों ने रामसुंदर की पत्नी को डायन बताकर मारपीट की थी। तब सनावल थाने में आवेदन दिया गया था, लेकिन तब कोई ठोस कार्रवाई हुई होती तो फिर दोबारा आरोपियों की दोबारा ऐसी हिम्मत नहीं होती।
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