
200 रुपए किलो बिकने वाली गोभी की विदेशी किस्म ‘ब्रोकली’ इन दिनों फुटपाथ और रेहड़ियों पर 50 रुपए में बिक रही है। इसका कारण कोरोनाकाल में होटलों और रेस्टोरेंट्स में डिमांड ठप होना और ब्रोकली की खेती का पंजाब-हिमाचल में रकबा बढ़ना है।
फ्रूट एंड वेजिटेबल मर्चेंट्स यूनियन के प्रधान चरणजीत सिंह बतरा का कहना है कि ब्रोकली की सप्लाई 90 फीसदी तक होटलों में होती रही है, लेकिन अब वह बंद हैं। इसी कारण रेट डाउन गए हैं।
ब्रोकली के सप्लायर ठाकुर वेजिटेबल के मालिक ठाकुर मान सिंह ने बताया कि कुछ साल पहले बड़ी होटल चेनों के पंजाब में आने और विदेशी टूरिज्म की संख्या बढ़ने पर ब्रोकली की डिमांड में उछाल आया था। पहले यह विदेश से मंगाई जाती थी। अच्छे दाम मिलने पर हिमाचल में इसकी खेती शुरू हुई।
अब तरनतारन, अमृतसर और मालेरकोटला में भी खेती हो रही है। इसका भाव 250 रुपए प्रति किलो रुपए किलो तक रहा है, मगर इस बार दाम खासे गिर गए हैं। इम्पोर्टेड सब्जियों का कारोबार करने वाले लेखराज का कहना है कि मालेरकोटला में ब्रोकली की सबसे अधिक खेती होती है। लोकल पैदावार से इसकी थोक में कीमत 250 रुपए किलो तक रहती थी, लेकिन अब थोक में इसका भाव 30-35 रुपए और फुटकर में 50 रुपए तक गिर गया है।
पिछले साल भी दाम घटे थे, मगर इस बार उम्मीद से परे गिरावट : नवांपिंड के किसान हरजीत सिंह बताते हैं कि उन्होंने कुछ साल पहले इसकी खेती शुरू की थी। पिछले साल ब्रोकली के रेट में मामूली गिरावट आई थी, लेकिन इस बार उम्मीद से परे गिरावट आई है। ब्रोकली का बीज 90 हजार से एक लाख रुपए प्रति किलाे तक मिलता है। इसकी सप्लाई ज्यादातर होटल और रेस्टोरेंट में होती है।

रकबा बढ़ा; डिमांड घटी, सप्लाई बंद... बाकी सब्जियों के भाव भी गिरे
सब्जियों के भाव भी मार्केट में जमीन पर आ गए हैं। गिरावट के तीन मुख्य कारण हैं। पहला कारण पिछले साल के मुकाबले बिजाई का बढ़ा रकबा, दूसरे कोरोना संक्रमण के चलते होटल-रेस्टोरेंट का बंद होना और शादी विवाह में खपत कम है, जबकि तीसरा अहम कारण किसान आंदोलन के चलते दूसरे राज्यों को सप्लाई बंद होना है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3mG5s9A
No comments:
Post a Comment