
जहां एक तरफ किसानों द्वारा गेहूं की बिजाई की जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ मंगलवार को रामसरा माइनर में गांव वरियामखेड़ा से झुरड़खेड़ा के बीच से करीब 30 फीट कटाव आ गया। जिससे करीब 50 एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो गई। वहीं सूचना मिलने पर नहरी विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर किसानों के सहयोग से कटाव भरने का प्रयास किया गया। जेसीबी की मदद से माइनर में आए कटाव को भरा जा रहा है। गांववासियों ने बताया कि रामसरा माइनर के खस्ताहाल होने से इसमें कई बार कटाव आ चुका है, जिसके चलते सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद हो चुकी है। वहीं कटाव के कारण हुई बंदी के बाद पानी की पूरी मात्रा न मिलने से कई बार समय पर बिजाई नहीं हो पाती है।
खस्ताहाल माइनर का नहीं करवाया जा रहा नवीनीकरण
किसानों ने रोष जताते हुए कहा कि रामसरा माईनर खस्ताहाल होने के कारण कई बार टूट चुकी है। जिसके चलते वे कई बार प्रशासनिक अधिकारियों, राजनेताओं को अवगत करवाया जा चुका है। लेकिन उनकी अभी तक इस संबंधी कोई सुनवाई नहीं हुई है। किसानों ने रोष जताते हुए कहा कि अगर जल्द से जल्द रामसरा माईनर का पुन निर्माण नहीं करवाया गया तो इलाके के किसानों द्वारा धरना प्रदर्शन किया जाएगा।
कटाव को भरने के लिए किया जा रहा प्रयास : नहरी विभाग
नहरी विभाग के उपमंडल अधिकारी विनोद कुमार व जेई अक्षय कुमार ने कहा कि मोघे बंद होने के कारण नहर में पानी का लेवल ऊंचा उठने या अन्य शरारत से माइनर में कटाव आया है। उन्होंने कहा कि जब उन्हें नहर में आए कटाव के बारे में पता चला तो उन्होंने तीन जेसीबी मशीनों को मंगवाकर कटाव को भरने का कार्य शुरू करवा दिया गया है। वहीं किसान भी मिट्टी के कट्टे भरकर कटाव को भरने में सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि माइनर के डेमेज प्रोजेक्ट संबंधी रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजी जा चुकी है। जल्द माइनर का पुन निर्माण शुरू होगा।
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