
राजधानी रायपुर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रथम आगमन के शताब्दी वर्ष में छत्तीसगढ़ सरकार 59 साल पुराना ऐसा कानून खत्म करने जा रही है, जिससे कुष्ठ रोगियों को नगर निगमों और नगर पालिकाओं के चुनाव में हिस्सा लेने की आजादी मिलेगी। कुष्ठ रोगियों को चुनाव से रोकने का यह कानून 1960-61 में बना था। इसे खत्म करने के लिए भूपेश सरकार सोमवार से शुरू होने वाले विधानसभा के शीतसत्र में संशोधन विधेयक ला रही है। इसे मिलाकर पूरे सत्र में 10 संशोधन विधेयक पेश होंगे। इसमें एक महत्वपूर्ण संशोधन मंडी शुल्क को 50 पैसे से बढ़ाकर 3 से 5 रुपए तक करने का भी है। दरअसल कुष्ठ रोगियों को अस्पृश्य मानते हुए केंद्र सरकार ने छह दशक पहले उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाई थी। तब से अब तक ऐसे लोग स्थानीय चुनाव नहीं लड़ पाए हैं। हालांकि इनकी संख्या बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन सरकार इस संशोधन के साथ गांधीजी के रायपुर आगमन के शताब्दी वर्ष की ब्रांडिंग भी करने की तैयारी में है।
राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन रिपोर्ट के मुताबिक हर साल प्रति एक लाख आबादी में 32 कुष्ठ रोगी मिलते हैं। छत्तीसगढ़ में प्रति दस हजार आबादी पर यह रोग 2.14 फीसदी की दर से फैला है। देश में जितने कुष्ठ रोगी मिल रहे हैं, उसमें 7 फीसदी छत्तीसगढ़ से हैं। सूत्रों के अनुसार सरकार का उद्देश्य बरसों पुराने कानून को खत्म करने के पीछे उस वर्ग तक यह संदेश पहुंचाना है कि यह सरकार मुख्यधारा से अलग कर दिए गए लोगों के साथ है। इसके पीछे गांधीजी का भी संदेश छिपा हुआ है क्योंकि वे कुष्ठ रोगियों के प्रति स्नेह व सेवाभाव रखते थे।
केंद्र सहित कई राज्यों में ऐसा कानून
विधि आयोग ने अपनी सिफारिश में कुष्ठ रोगियों से भेदभाव खत्म करने की सिफारिश की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में एक जनहित याचिका में केंद्र सरकार समेत राज्यों से इस मसले पर जवाब मांगा था। इसकी सुनवाई के दौरान ही केंद्र सरकार ने कानून में संशोधन करने का जवाब दिया था। राजस्थान, मध्यप्रदेश व ओडिशा आदि राज्यों ने 2018 में ही कुष्ठ रोगियों को चुनाव लड़ने पर रोक खत्म कर दी है। केंद्र सरकार ने 2019 में वैयक्तिक कानून संशोधन विधेयक पारित किया है।
नक्शा पास होने के बाद अब घर बना सकेंगे 2 साल तक
शहरी इलाकों के लोगों को राहत देने के लिए सरकार एक और नियम बदल रही है। नए नियम के मुताबिक लोग नक्शा पास होने के बाद 2 साल के भीतर मकान बना सकते हैं। अब तक यह समयसीमा 1 साल की थी। इसी तरह, भाड़ा नियंत्रण एक्ट में संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट के बजाय हाईकोर्ट में अपील करने का प्रावधान किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के आधार पर यह संशोधन किया जा रहा है। इसके मुताबिक भाड़ा नियंत्रण अधिकरण के खिलाफ अब हाईकोर्ट में अपील की जा सकेगी। एक महत्वपूर्ण संशोधन विधेयक राजकोषीय बजट उत्तरदायित्व विधेयक के जरिए लाया जाएगा। इसमें राज्य की कर्ज की सीमा बढ़ाकर तीन से पांच फीसदी कर दी जाएगी। अर्थात, अब तक प्रदेश सरकार कुल बजट का तीन फीसदी कर्ज ले सकती थी, जिसे बढ़ाकर पांच किया जाएगा। राज्यों को यह प्रस्ताव केंद्र ने ही भेजा है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2Wz4v8w
No comments:
Post a Comment