
कोरोना काल में संभागीय मुख्यालय स्थित रेलवे स्टेशन से चलने वाली 5 ट्रेनों में से 4 दिन पहले शुरु हुई सिर्फ एक ट्रेन में भी दो गुना किराया वसूल किया जा रहा है। यहां से चलने वाली पैसेंजर ट्रेन में विशाखापट्टनम तक सामान्य श्रेणी का किराया सिर्फ 65 रुपए था लेकिन इस स्पेशल ट्रेन में यात्रियों को 130 रुपए देने पड़ रहे हैं इसमें आरक्षण का शुल्क भी शामिल है। इसी तरह जगदलपुर से किरंदुल का किराया स्पेशल ट्रेन में आरक्षण के साथ 80 रुपए लिया जा रहा है जो पैसेंजर में सिर्फ 35 रुपए लगता था।
दरअसल 22 मार्च से रेल सेवाओं के 9 महीने तक बंद रहने के बाद किरंदुल और विशाखापट्टनम के बीच स्पेशल एक्सप्रेस ट्रेन 18 दिसंबर से शुरु की गई है। इस स्पेशल एक्सप्रेस ट्रेन में एक भी एसी अथवा स्लीपर कोच नहीं है। ट्रेन के कुल 8 कोच में सभी चेयर कार हैं। रेलवे इस स्पेशल ट्रेन को पूर्व में चल रही पैसेंजर की समय सारिणी के अनुसार चला रहा है। ट्रेन के विशाखापट्टनम और किरंदुल पहुंचने का समय भी पैसेंजर का ही है, लेकिन इसका किराया स्पेशल के नाम पर एक्सप्रेस का वसूल किया जा रहा है। ट्रेन में सोशल डिस्टेंसिंग की कोई व्यवस्था नहीं है। कोच के सभी 90 सीटों पर आरक्षित टिकट दिए जा रहे हैं।
अब बिना आरक्षण के नहीं कर सकते सफर
इस स्पेशल ट्रेन में आरक्षित टिकट का होना जरूरी है। बिना रिजर्वेशन के ट्रेन में सफर नही कर सकते। रिज़र्वेशन ऑनलाइन या स्टेशन पर ऑफलाइन किया जा सकता है। तत्काल आरक्षण की सुविधा भी रेलवे स्टेशन में उपलब्ध है। जिसमे ट्रेन के छूटने से आधे घण्टे पहले तक आरक्षित टिकट प्राप्त किया जा सकता है। कोच के सभी सीटों पर रिजर्वेशन की सुविधा उपलब्ध है। बुकिंग सुपरवाइजर कविता नेगी ने बताया कि ज्यादातर यात्री बिना आरक्षित टिकट के स्टेशन पहुंच रहे है। वे इस उम्मीद में आ रहे कि जनरल टिकट लेकर ट्रेन में चढ़ जाएंगे। लेकिन ट्रेन के छूटने के आधे घंटे पहले नही पहुंचने पर उन्हें आरक्षित टिकट नहीं मिल पाता और उन्हें लौटना पड़ रहा है। शुरुआत में इस ट्रेन से काफी कम यात्री आए थे, जैसे-जैसे लोगों को जानकारी मिल रही है, यात्रियों की संख्या भी बढ़ रही है।
बंद होने से पहले रात में चलती थी एक्सप्रेस ट्रेन
कोरोना संक्रमण के दौरान ट्रेन बंद होने से पहले तक यहां से विशाखापटनम के लिए एक्सप्रेस ट्रेन रात साढ़े बजे रवाना होकर तड़के 3.45 बजे विशाखापटनम पहुंचती थी। यात्रियों की सुविधा के हिसाब से ट्रेन की यह समय सारिणी सही थी। जिसमें ज्यादातर लोग इलाज के लिए विशाखापटनम जाते थे, या फिर वहां से दूसरी जगह के सफर के लिए निकलते थे। ट्रेन के बंद होने से अब लोगों को निजी अथवा किराये के वाहन से जाना पड़ रहा है।
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