बस्तर जिले में चलाए जा रहे मलेरिया मुक्त अभियान में स्वास्थ्य विभाग के लिए असिंप्टोमेटिक मलेरिया एक चुनौती बना हुआ है। दो चरणों में हुए अभियान में इस बीमारी के मिले 6229 मरीजों का इलाज करने के बाद अब एक बार फिर से इस बीमारी के मरीजों को ढूंढने के लिए 15 दिसंबर से मलेरियामुक्त बस्तर अभियान का तीसरा चरण चलाने की योजना बनाई गई है। तीसरे चरण में करीब सवा लाख लोगों की जांच की जाएगी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग बास्तानार और दरभा ब्लॉक में विशेष टीम बनाने के साथ ही डोर टू डोर अभियान चलाएगा। इस काम में कोई परेशानी नहीं हो इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की निगरानी में मरीजों को ढूंढने के साथ ही इसका इलाज किया जाएगा।
मलेरिया सलाहकार बसंत कुमार पंडा ने बताया कि सामान्य रूप से मिलने वाले मरीजों का इलाज करने में किसी तरह की परेशानी नहीं होती है। लेकिन असिंप्टोमेटिक मलेरिया के मरीजों का इलाज करने में काफी परेशानी होती है। उन्होंने बताया कि इस समय असिंंप्टामेटिक मलेरिया के मरीज सबसे अधिक बास्तानार और दरभा ब्लॉक में पाए जा रहे हैं। कुछ महीने पहले इन दोनों ब्लॉकों में की गई जांच में सबसे अधिक मरीज असिंप्टामेटिक मरीजों में अधिकतर आश्रम व छात्रावास में रहकर पढ़ाई करने वाले छात्र शामिल थे। अब इनकी संख्या में कमी आ रही है।
328 की जगह 170 गांवों में चलेगा अभियान: 15 दिसंबर से चलाए जाने वाले इस अभियान में 328 की जगह केवल 170 गांवों में यह अभियान चलाया जाएगा। इसमें उन गांवों को शामिल किया गया है जहां पर 0.5 फीसदी मरीज मलेरिया के पाए जाते हैं। इससे पहले 1.5 फीसदी प्रभावित एरिया को इस अभियान में शामिल किया गया था। जिला मलेरिया सलाहकार ने बताया इससे पहले दो चरणों में चलाए जाने वाले इस अभियान में 8213 मलेरिया के मरीज मिले थे। पंडा ने बताया कि पहले चरण में चलाए जाने वाले अभियान में 3 लाख 50 हजार और दूसरे चरण में 2 लाख 50 हजार लोगों की जांच की गई थी। जबकि तीसरे चरण में करीब सवा लाख लोगों की जांच की जाएगी।
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