
फाजिल्का ज्यूडीशियल कांप्लैक्स में जिला कानून सेवाएं अथॉरटी के एडीआर सेंटर में स्थायी लोक अदालत फाजिल्का के चेयरमैन जज जसवीर सिंह कंग ने जरूरतमंद लोगों को सेवाएं प्रदान करने के लिए एक मीटिंग की। जिसमें लोक अदालत के मेंबर और सेवानिवृत्त एसडीएम बीएल सिक्का और जिला कानूनी सेवा अथॉरटी के पैनल एडवोकेट देसराज कंबोज उपस्थित थे। इस दौरान जज जेएस कंग ने कहा कि कानून सेवाएं अथॉरटी एक्ट (संशोधन एक्ट) 2002 के अनुसार फाजिल्का में एक स्थायी लोक अदालत का गठन 2018 में किया गया है।
इस लोक अदालत में जनतक सहूलियतें सेवाओं के साथ जुड़े प्री-मुकद्दमेंबाजी केस (जोकि केस अदालतों में लंबित नहीं है) का फैसला लिया जाता है। उन्होंने कहा कि धारा 22 के अंतर्गत हरेक जिले में जनतक सहूलियतों के साथ जुड़े विवादों के निपटारे के लिए यह स्थायी लोक अदालत में किया जाता है। इस अदालत में एक सेवानिवृत्त जज को इसके चेयरमैन और इसके दो अलग-अलग क्षेत्रों के मेंबर नियुक्त किया जाता है।
इस अदालत की पहली प्राथमिकता समझौते के आधार पर विवादों का निपटारा करना है। भले ही अदालत की कोशिश के बाद सुलह नहीं होती, बैंच को अधिकार है कि वह तीन महीनों के अंदर योग्यता के आधार पर फैसला सुनाए। इस अदालत में बिजली, ट्रैफिक, डाक विभाग, बीमा, बैंकिंग, शिक्षा, नगर कौंसिल, स्वास्थ्य, वित्त, जल और सीवरेज विभाग जैसी जनतक सहूलियतें इस अदालत का अधिकार क्षेत्र में आती हैं।
स्थायी लोक अदालत लोगों को न सिर्फ तेज बल्कि सस्ता और आसानी के साथ न्याय प्रदान करती है। इस अदालत में केस दायर करने का कोई खर्च नहीं है। लोक अदालत के मेंबर बीएल सिक्का ने कहा कि केंद्र सरकार ने स्थायी लोग अदालत के आर्थिक अधिकार क्षेत्र में भी विस्तार किया है। अब 20 लाख की जगह एक करोड़ रुपए तक का विवाद इस अदालत के अधिकार क्षेत्र में है।
एडवोकेट देसराज कंबोज ने कहा कि स्थायी लोक अदालत के फैसले को सिविल कोर्ट की डिग्री के तौर पर मान्यता प्राप्त है और इसके फैसले के खिलाफ कोई अपील नहीं है। कंबोज ने कहा कि जिला कानून सेवाएं अथॉरटी के चेयरमैन कम जिला सैशन जज तरसेम मंगला, सीजेएम-कम सचिव राजपाल रावल के दिशा निर्देशों अनुसार कोविड-19 में लोगों को जनतक सहूलियतें मुहैया करवाने के लिए सभी यत्न किए जा रहे हैं।
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