
प्रदेश की कांग्रेस सरकार जो कहा- सो किया की तर्ज पर काम करेगी। विधानसभा में दिए आश्वासनों और घोषणाओं पर अमल करने वह मानिटरिंग करेगी। ऐसा करके विधायकों और जनता का भरोसा जीता जा सके। ऐसा करने के लिए उसने सभी विभागों के जिम्मेदार अफसरों को मोर्चे पर लगा दिया है। इसके लिए अलग से सेल बनाया गया है। सदन में मंत्रियों द्वारा कही बातों की लिस्टिंग विधानसभा सचिवालय से मंत्रालय मंगवाई जा रही है।
मंत्रालय के अधिकारी लगातार विधानसभा दौड़ लगा रहे हैं। अक्सर सदन में विधायकों द्वारा शून्यकाल, ध्यानाकर्षण, प्रश्नकाल, विशेषाधिकार हनन या याचिकाओं में ज्वलंत मुद्दो या समस्याओं को उठाया जाता है। इस पर सदन में मंत्री आश्वासन या कार्रवाई का का भरोसा दिलाते हैं। ज्यादातर मामलों में कई विधायक इसे सदन तक उठाने में ही रूचि लेते हैं। हालांकि विपक्ष ऐसे मुद्दों पर पैनी नजर रख रहा है और सरकार को घेरने का मौका नहीं चूकता।
इस वजह से पिछले दिनों यह तय किया गया है कि ऐसे मामलों को विभागवार मानिटरिंग कर निपटाया जाएगा। हालांकि इस तरह की व्यवस्था विधानसभा में पहले से ही है। विधायकों की एक आश्वासन समिति है जो सदन में उठे इस तरह के मामलों और मंत्रियों द्वारा दिए गए आश्वासन, कार्रवाई या घोषणा को लेकर जानकारी रखती है।
वह संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव या सचिव से मंत्री द्वारा सदन में किए वादे को लेकर रिपोर्ट लेती है कि संबंधित प्रकरण ने विभाग ने क्या कार्रवाई की। आश्वासन समिति सचिव के बयान से लेकर उससे संबंधित दस्तावेज भी तलब कर सकती है। समिति को एक न्यायालय की तरह अधिकार हैं।
विधेयकों को लेकर भी गंभीर रुख
राज्य सरकार विधेयकों को लेकर भी गंभीर है। राज्यपाल को सहमति के लिए भेजे गए विधेयकों की भी लिस्टिंग की जा रही है। पिछले दो साल में भूपेश सरकार ने कौन-कौन से बिल राज्यभवन को भेजे। उनमें से कितनों पर सहमति मिली। कितने बिल लंबित हैं। यहां तक कि राज्य बनने के बाद से अब तक राजभवन से कौन-कौन से बिलों को मंजूरी नहीं मिली इसे भी सूचीबद्ध करने कहा गया है।
इसलिए महत्व
संसदीय जानकारों का मानना है कि सदन में उठाई गई समस्याओं, मुद्दों या याचिकाओं का इसलिए महत्व है कि जब कोई विधायक इन्हें सदन में प्रस्तुत करता है तब बकायदा सदन में यह रिकार्ड किया जाता है। संबंधित विभाग के अधिकारी भी इसे नोट करते हैं। इस पर मंत्री के दिए आश्वासन या घोषणा का संबंधित सदस्य को लिखित में विभाग द्वारा जवाब दिया जाता है।
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