चारामा में रिपोर्ट नहीं लिखने व डॉक्टरी मुलाहिजा नहीं कराने के मामले में पूर्व थाना प्रभारी को हटाए अभी महीना पूरा नहीं हुआ है और विवाद की दूसरी घटना सामने आ गई। इस बार आरोप है कि चारामा थाना का प्रभार संभाल रहे एसआई ने चार से ज्यादा आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करने एसपी के कथित आदेश का हवाला देते हुए खून से लथपथ घायल को वहां से लौटा दिया। मामले की शिकायत एसपी से की गई है। मामला लखनपुरी में आयोजित मेले के दौरान दुकान लगाने को लेकर हुए विवाद का है। 27 दिसंबर को मेले में बर्तन व्यवसायी कमलेश सिंह निवासी रीवां मध्यप्रदेश अपनी दुकान लगाया था। इसकी दुकान के सामने रीवां के ही दूसरे व्यापारी ने दुकान लगा ली। दोनों पक्षों में विवाद हुआ तो कमलेश सिंह की 7 से 8 लोगों ने पिटाई कर दी। प्रार्थी कमलेश का कान कट गया और खून बहने लगा। इसके बाद वह शिकायत लेकर थाना पहुंचा लेकिन शिकायत दर्ज नहीं की गई।
कमलेश सिंह का आरोप है थाना प्रभारी पवन ठाकुर ने एफआईआर लिखने से इंकार करते हुए कहा कि एसपी साहब का आदेश है कि किसी भी अपराध में 4 से ज्यादा आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करनी है। पीड़ित ने यहां-वहां भटकने के बाद 28 दिसंबर को एसपी कार्यालय पहुंच शिकायत की। इसके पूर्व चारामा थाना प्रभारी पीडी चंद्रा को 12 दिन पहले एेसे ही आरोप में लाइन अटैच किया गया था। चारामा थाना के गांव दरगहन निवासी विनोद पटले के साथ लिलेझर में 13 दिसंबर को कुछ लोगों ने जमकर मारपीट की थी। चोट आई थी। वह 14 दिसंबर को शिकायत लेकर चारामा थाना पहुंचा था। थाना प्रभारी ने न तो कार्रवाई की और न ही पीड़ित का डॉक्टरी मुलाहिजा कराया। उसने 17 दिसंबर को एसपी कार्यालय शिकायत लेकर पहुंचा तो एसपी एमआर अहिरे ने मामले में कार्रवाई करते थाना प्रभारी पीडी चंद्रा को लाइन अटैच कर दिया था।
हम रिपोर्ट लिखने तैयार थे, पीड़ित लौट कर नहीं आया
थाना प्रभारी पवन ठाकुर ने कहा कि पीड़ित की शिकायत पर आवेदन टाइप किया जा चुका था। पुलिस एफआईआर दर्ज करने तैयार थी। उसे डॉक्टरी मुलाहिजा के लिए भेजा गया था लेकिन वह लौट कर वापस नहीं आया। पीड़ित का आरोप बेबुनियाद है।
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