
चालू वित्त वर्ष 2020-21 में अभी तक शहर के 90% होटलों और 70% रेस्टोरेंट्स ने नगर निगम को प्राॅपर्टी टैक्स जमा नहीं कराया है। पहली जनवरी से चालू वित्तवर्ष के प्राॅपर्टी टैक्स पर 10% जुर्माना लगना शुरू हो चुका है।
31 मार्च 2021 के बाद चालू वर्ष के प्रॉपर्टी टैक्स पर 20% जुर्माना और 18% सालाना ब्याज भी भरना होगा। उधर नगर निगम पुराने डिफाल्टरों को नोटिस भेजने के अलावा सीलिंग करने की तैयारी में है। सूबा सरकार ने 2013-14 में प्राॅपर्टी टैक्स लागू किया था। जिन लोगों और कॉमर्शियल अदारों ने अभी तक प्राॅपर्टी टैक्स नहीं भरा है, उन्हें भारी जुर्माने के साथ ब्याज भरना पड़ेगा। प्रॉपर्टी टैक्स के पुराने डिफाल्टरों के खाते में हर महीने डेढ़ फीसदी ब्याज जुड़ रहा है।
85 वार्डों में हर हफ्ते भेजे जा रहे 8500 नोटिस
नगर निगम की अोर से प्राॅपर्टी टैक्स कलेक्शन का जिम्मा 10 सुपरिंटेंडेंट्स को दिया गया है। इसके तहत हर हफ्ते हर वार्ड में 100 नोटिस जारी हो रहे हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो हर हफ्ते शहर के 85 वार्डों में म्युनिसिपल काॅरपोरेशन एक्ट 1976 की सेक्शन 112-ए के तहत 8500 लोगों को नोटिस जारी हो रहे हैं।
इनमें करदाताओं से पुराने भरे गए टैक्स की रसीदें दिखाने को कहा जा रहा है। निगम की ओर से प्राइवेट कंपनी से कराए गए सर्वे के मुताबिक शहर में डेढ़ लाख टैक्सेबल प्रॉपर्टीज होने का अनुमान था। नगर निगम ने एक लाख करदाताओं से प्राॅपर्टी टैक्स वसूलने का लक्ष्य रखा है, जोकि पूरा नहीं हो सका।

समय पर प्रॉपर्टी टैक्स नहीं भरने वालों पर होगी कार्रवाई : रिषी
करदाताओं से अपील है कि सभी अपना प्राॅपर्टी टैक्स समय पर जमा करवाएं। पुराना बकाया नहीं भरने वाले डिफाल्टर भी तुरंत अपना भुगतान कर दें, वरना नगर निगम को सीलिंग की कार्रवाई शुरू करनी पड़ेगी। - संदीप रिषी, एडिशनल कमिश्नर नगर निगम
काॅमर्शियल एक्टिविटी बंद रहने का असर
लॉकडाउन में काॅमर्शियल अदारे बंद रहने से प्राॅपर्टी टैक्स रिकवरी पर असर पड़ा है। कई जगह किराए को लेकर प्राॅपर्टी मालिक और किराएदारों में पेंच फंसा रहा। शहर के एक बड़े मॉल ने पिछले साल 1.44 करोड़ रुपए का प्राॅपर्टी टैक्स भरा था, जबकि इस साल उसने अभी तक 80 लाख रुपए ही जमा कराए गए हैं। माॅल प्रबंधकों ने लॉकडाउन में काॅमर्शियल अदारे बंद रहने का हवाला देते हुए किराएदारों से 31 मार्च तक हिसाब क्लियर करने की बात कही है। वर्ष 2019-20 में दिसंबर तक निगम को प्राॅपर्टी टैक्स के रूप में 20 करोड़ रुपए मिल गए थे जबकि इस साल दिसंबर तक 15.71 करोड़ रुपए ही आए हैं।
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