
महारानी हॉस्पिटल में पहुंचने वाले मरीजों को अब विशेषज्ञ डाॅक्टरों द्वारा परामर्श देने की व्यवस्था की जा रही है। जल्द ही यहां के मरीजों को परामर्श देने के लिए न्यूरो सर्जन और सुपर स्पेशलिस्ट डाॅक्टर उपलब्ध रहेंगे। हॉस्पिटल प्रबंधन से जुड़े डाॅक्टरों की माने तो अभी देशभर के बड़े सुपर स्पेशलिस्ट डाॅक्टरों से अभिव्यक्ति की रुचि के अनुसार महारानी हॉस्पिटल में टेलीमेडिसिन की सुविधा देने के लिए प्रस्ताव मंगाया गया है। इस सुविधा के बदले में महारानी हॉस्पिटल प्रबंधन सुपर स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल को कुछ पैसे भी देगा।
अफसरों के अनुसार देशभर में जो भी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल यह सुविधा कम दाम पर देने को तैयार होगा उससे टाईअप कर यहां टेलीमेडिसिन की सुविधा शुरू करवा दी जाएगी। हॉस्पिटल अधीक्षक डॉ संजय प्रसाद ने बताया कि हम कोशिश कर रहे हैं कि यहां आने वाले मरीजों को बेहतर से बेहतर ट्रीटमेंट दी जाए। अभी हमारे हॉस्पिटल में एमडी, एमएस, आर्थोपेडिक विशेषज्ञ हैं लेकिन हम चाह रहे हैं कि मरीजों को सुपर स्पेशलिस्ट ट्रीटमेंट की सुविधा भी दी जाए। इसके लिए हमने देश के सुपर स्पेशलिस्ट हॉस्पिटलों से प्रपोजल मांगा है।
4 जी इंटरनेट से जुड़ेंगे दोनों हॉस्पिटल, इलाज से लेकर दवा तक ऑनलाइन: महारानी हॉस्पिटल में टेलीमेडिसिन इलाज की सुविधा के लिए ऑनलाइन सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल से जोड़ा जाएगा। इसके लिए 4 जी इंटरनेट का उपयोग किया जाएगा। महारानी हॉस्पिटल में एक कमरे में कैमरे और ऑडियो सिस्टम लगाया जाएगा। यहां से मरीज और डाॅक्टर दूर बैठे दूसरे शहर के हॉस्पिटल में बैठे डाॅक्टरों को परेशानी बताएगे। इसके बाद वहीं से कैमरे पर ही डाॅक्टर मरीज की स्थिति के अनुसार डोज बताएंगे जिसे यहां बैठा डाॅक्टर मरीज को समझाएगा।
पहले चरण में परामर्श फिर ऑनलाइन ऑपरेशन भी
महारानी हॉस्पिटल के अफसरों के अनुसार अभी ट्रायल के तौर पर पहले चरण में मरीजों को सिर्फ परमर्श दिया जाएगा। इसके बाद दूसरे चरण में ऑपरेशन की शुरुआत करवाई जाएगी। इसके लिए सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के डाॅक्टरों को जगदलपुर बुलाया जाएगा और आपात स्थिति में अॉनलाइन वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिए वहां के डाॅक्टर यहां के सर्जन को ऑपरेशन के लिए दिशा-निर्देश देंगे और डाॅक्टर यहां मरीज का ऑपरेशन करेंगे हालांकि यह प्लानिंग दूसरे चरण के लिए है।
पहले ऐसे ही प्लान का हुआ था विरोध
इधर महारानी हॉस्पिटल में टेलीमेडिसिन वाले इलाज के सिस्टम को लागू करने के लिए 6 महीने पहले भी प्रयास किया गया था, लेकिन उस दौरान महारानी हॉस्पिटल प्रबंधन से जुड़े अफसरों ने एक निजी हॉस्पिटल से साठगांठ करते हुए बिना टेंडर के ही कमीशन पर इलाज की व्यवस्था का ठेका देने की तैयारी कर ली थी। इसके बाद इस मामले को भास्कर ने प्रमुखता से उठाया था और पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। अब छह महीने बाद फिर से एक बार टेलीमेडिसिन वाले इलाज को लागू करने की तैयारी की गई है।
बस्तर में ऐसी व्यवस्था कभी सफल नहीं रही
इधर बस्तर जिले में 10 साल पहले भी टेलीमेडिसिन सेवा शुरू करने के लिए सेटअप लगाए गए थे, लेकिन वह पूरी तरह से फेल हो गई। अभी संभाग के कई ऐसे अंदरूनी गांव हैं जहां इस तरह की व्यवस्था की गई है लेकिन वह सफल नहीं है।
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