
वाह रे सरकार ‘पाक में सजा काटकर वतन लौटने वाले कैदियों को अपनी जमीं पर उठानी पड़ रही परेशानियां, जो सुध-बुध तक खो चुके हैं’ यह कहना है यूपी के मिर्जापुर से अपने भाई पुनवासी लाल (35) को छेहर्टा स्थित हेल्थ सेंटर लेने पहुंची लाचार बहन किरन का।
शनिवार को लाहौर जेल से छूटकर 11 साल बाद वापस लौटे पुनवासी को लेने के लिए मीर्जापुर से 1300 किमी लंबा सफर करने के बाद बहन किरन, जीजा और स्थानीय कॉस्टेबल अमृतसर पहुंचे, पर उनको छेहर्टा सेंटर तक पहुंचने के लिए घंटों परेशान होना पड़ा। पता पूछते-पूछते कचहरी चौक टैंपों से पहुंचे, जिनकी किसी ने मदद नहीं की। कुछ पुलिस कॉस्टेबलों ने उनको टैंपों से छेहर्टा भेज दिया, लेकिन रास्ता भटक गए। जानकारी अफसरों को दी जाती रही, लेकिन वह परिजनों को सिर्फ एड्रैस बताते रहे। हैरानी की बात है कि लग्जरी कारों में घूमने वाले अफसरों के पास दूसरे राज्यों से आने लोगों के लिए सरकारी साधन नहीं है। सेंटर पहुंचने के बाद बहन ने अपने खोए भाई को देखा तो आंखें भर आईं, पर टिकट 4 जनवरी होने के कारण ठहरने की चिंता सताने लगी। जिम्मेदार अफसरों ने बताया कि गुरुनानक देव स्थित रेडक्रॉस के सराए में रुकना होगा। वहां भिजवाने के लिए अफसरों ने साधन उपलब्ध कराने के लिए हाथ खड़े कर दिए।
अटारी बॉर्डर स्थित जिम्मेदार प्रशासनिक अफसर ने कह दिया कि सराए में रुकने का इंतजाम प्रशासन करा रहा, क्या यह कम है। बस से जीएनडीएच जाएं और लोगों से पूछकर पहुंच जाएं। कैबिनेट मंत्री ओपी सोनी ने कहा कि वह चंडीगढ़ में हैं तो क्या कर सकते हैं। वह किसी तरह सराए पहुंचे तो यहां पर सुरक्षा व्यवस्था बेहतर न होने पर रुकने से इनकार कर दिया। देर शाम मामला डीसी गुरप्रीत सिंह खैहरा के पास पहुंचा तो उन्होंने रुकने का उचित प्रबंध करवाया।
भयंकर सर्दी में जैकेट तक नहीं सरकार से नहीं मिलता कोई फंड
शर्मनाक तो यह है कि दूसरे मुल्क में टॉर्चर सहने के बाद वापस लौटे लोगों को कंपकंपाती ठंड में पहनने के लिए जैकेट जैसी कोई व्यवस्था नहीं है। व्यवस्थाएं देखकर लगता है कि जेल और हेल्थ सेंटर में आखिर फर्क क्या है। कैदियों के वतन वापसी को लेकर उनके रहने, खाने-पीने और बाकि व्यवस्थाओं के बारे में जब अफसरों से बातचीत की गई तो बताया कि सरकार से कोई भी फंड नहीं जारी होता है। जितनी व्यवस्था है उतनी उपलब्ध करवाई जा रही है।
जहां से भी अपनो को लेने के लिए लोग आए हैं उनको अपनी व्यवस्था खुद करके आनी चाहिए। बहन किरन ने कहा कि जब गांव से आ रहे थे तो अफसरों ने कहा था कि अमृतसर में डीसी से पूरी मदद मिलेगी। जिंदगी में इतना गम झेल चुकी हैं कि यह परेशानी कुछ नहीं। डीसी पर भरोसा था, उन्होंने रुकने का उचित प्रबंध करवाया।
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