
रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी आरटीए कर्मचारियों को पोस्ट ऑफिस के एक मुलाजिम का लाइसेंस गुम करना महंगा पड़ा है। सिविल कोर्ट के आदेश पर आरटीए को गुम हुए युवक का नया लाइसेंस बनवाकर देना पड़ा है। केस फाइल होने के बाद संबंधित कर्मचारियों को 3 बार कोर्ट ने तलब किया है, चौथी बार नए लाइसेंस के साथ कर्मचारी कोर्ट में हाजिर हुए और लाइसेंस सौंपा। खास बात यह है कि इस पूरी प्रक्रिया में लाइसेंस फीस व अन्य खर्च का आरटीए ने ही भुगतान किया। सिटी के मुख्य डाकघर में तैनात मुलाजिम रमनदीप का नवंबर 2020 में लाइसेंस पर चालान हो गया था।
जब रमनदीप आरटीए अपना चालान भुगतने गए तो पता चला उनका चालान और लाइसेंस गुम हो चुका है। कई बार आरटीए कार्यालय के चक्कर लगाने के बाद उन्होंने एडवोकेट हरमिंदर संधू की मदद से सिविल कोर्ट केस फाइल किया, जिसमें डिप्टी कमिश्नर, सेक्रेटरी आरटीए और संबंधित कर्मचारी को पार्टी बनाया गया। कोर्ट ने तत्काल मामले का संज्ञान लेते हुए आरटीए को तलब किया। पहली बार में ही आरटीए की ओर से बचाव में यह कहकर गलती मान ली गई कि चालान और लाइसेंस कहीं गुम हो गया है।
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